वेदना की प्रीत

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शब्द से मैं वेदना की प्रीत लिखना चाहता हूँ,

काव्य की संवेदना से रीत लिखना चाहता हूँ।

_

पथ न विचलित हो सृजन की वादियों में इसलिए,

लेखनी से चेतना का गीत लिखना चाहता हूँ।

 

धर्म यह कवि का नहीं,चारण बने युगदेव का,

कर्म का पथ छोड़कर,तारण बने स्वमेव का।

 

लोकहित के भाव में संगीत लिखना चाहता हूँ,

लेखनी से चेतना का गीत लिखना चाहता हूँ।

 

भाव से भूषित गगन में मन विहंगों-सा उड़े,

काव्य के सारे चरण की सार में शुचिता गढ़े।

 

हर व्यथा का शौर्य से मैं मीत लिखना चाहता हूँ,

लेखनी से चेतना का गीत लिखना चाहता हूँ।

 

यश तुम्हें देगी तुम्हारी लेखनी की धार बस,

स्वार्थ की लिप्सा गढ़ी तो जा फंसे मझधार बस।

 

इसलिए कविता से युग की, जीत लिखना चाहता हूँ,

लेखनी से चेतना का गीत लिखना चाहता हूँ।

———– #अनुपम आलोक

#अनुपम कुमार सिंह ‘अनुपम आलोक’

परिचय : साहित्य सृजन व पत्रकारिता में बेहद रुचि रखने वाले अनुपम कुमार सिंह यानि ‘अनुपम आलोक’ इस धरती पर १९६१ में आए हैं। जनपद उन्नाव (उ.प्र.)के मो0 चौधराना निवासी श्री सिंह ने रेफ्रीजेशन टेक्नालाजी में डिप्लोमा की शिक्षा ली है।

 

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