वर्तमान

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(१)
बिना सीखे आप साइकिल की पंचर तक नहीं बना सकते हैं लेकिन किसी भी राजनीतिक मुद्दे पर लंबी-लंबी छोड़ सकते हैं। 
(२)
कौन किस मुद्दे का समर्थन या विरोध करेगा इसके लिए ये बिल्कुल ही गैर जरूरी है कि वो हितकर है या अहितकर देखने वाली बात सिर्फ ये है कि वो किस धड़े का है।
(३)
पत्नियां पति से, सास बहू से, कर्मचारी अधिकारी से और जनता सरकार से हमेशा नाराज ही रहती है।
(४)
 पुलिस नेता और कुत्ता ये ऐसे जीव हैं जिसे कोई भी गाली दे सकता है। 
(५)
सरकार समर्थक और पति ये दोनों ऐसे सर्वनाम हैं जिन्हें हमेशा तुच्छ नजरों से ही देखा जाता है। 
(६)
गरीब, दलित और महिला हमेशा प्रताड़ित ही होती है। 
(७)
भक्त और मोदी का आपस में वही संबंध है जो एडविना आंटी का चाचा नेहरू से। 
सब अच्छा है बरगद में
पर एक बुराई तो है ही
कि वो अपने नीचे दूसरे को पनपने नहीं देता
(८)
दवाएं डालिये
निराई करिए
गुड़ाई करिए
पर खर पतवार कभी समाप्त नहीं होंगे
(९)
‘है’ और ‘नहीं है’ के 
दिमागी उठक बैठक के बीच
‘भगवान’ किसी चूल्हे पर चढ़ी हुई वह खाली हांडी है जिसके भरोसे कोई मजबूर माँ 
अपने भूखे बच्चे को सुला सकती है। 
(१०)
समाधि की चाहत में जल्दबाजी करने वाला नशे की लत का शिकार हो जाता है।
और अध्यात्म को धंधा बनाने वाला आशाराम!
(११)
आस्था के आशाराम हो जाने के लिए बेटी के बाप का अंधभक्त  का होना भी जरूरी है और सत्ता के निरंकुश होने के लिए जनता की अंधभक्ति!
(१२)
प्रेम करने के लिए दो दिलों की जरूरत होती है
और प्रेम को सफल बनाने के लिए एक अदद नौकरी की!
(१३)
कहानियां झूठ को सच की तरह कह देने का कलात्मक उदाहरण होती हैं और पत्रकारिता पानी में आग लगाने वालों का एक ब्यवस्थित तंत्र!
(१४)
दुनिया के 99 % लोग कर्मठी ईमानदार और प्रेम करने वाले हैं बाकी 1% लोग मेरे आसपास हैं। (ऐसा कई लोगों को लगता है)
(१५)
प्रेम का सुपात्र ढूढ़ते ढूढ़ते जब तक वह मिलता है तब तक ब्यक्ति ख़ुद कुपात्र हो जाता है।
(१६)
कुंआ कितना भी छोटा हो लेकिन उसमें मेढ़क बहुत बड़े बड़े रहते हैं।

#दिवाकर पांडे

matruadmin

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सद्कर्म

Sat Feb 20 , 2021
जो भी कर्म हम कर रहे उसे समझ लें हम यार परमात्म आँख देख रही खड़ी हमे उस पार आत्मा को जो अच्छा लगे ऐसा सदकर्म करे हर बार तभी हमें मिल सकेगा परम् पिता का प्यार कोई जगह ऐसी नही है जिस पर न पड़ सके परमात्मा की नजर […]

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।