गणतंत्र दिवस

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आजादी के झंडे को हम ,
आत्मविश्वास से फहराएंगे ,
जीवन की उपलब्धियों को हम ,
देश के नाम करायेंगे ,

संविधान के अनुच्छेदों को ,
शब्द-शब्द हम देश के काम लाएंगे ,
आजादी के लहू को हम ,
जीवन भर याद रखेंगे ,

26 जनवरी को शपथग्रहण कर ,
सविधान की लाज बचायेंगे ,
आजादी के वीर सपूतों को हम ,
जिंदगी भर यादों मे समेट कर रखेंगे ,

अंग्रेजो के काले कारनामें ,
कभी ना हम भूल पायेंगे ,
जीवन भर की लालसाएं ,
भारत माँ के चरणों में लौटाएंगे ,

माँ भारती को सोने की चिड़ियाँ,
फिर से हम बनायेंगे ,
आतताइयों की बदसूरती से ,
सदा भारत माँ को बचाएंगे ,

लालकिले पर गणतंत्र का ,
झंडा हम लहराएंगे ,
अपने आजाद भारत का हम ,
सविधान कभी ना भूल पायेंगे ,

विश्व का सबसे बड़ा लिखित सविधान का ,
गौरव हम हमेशा बढ़ाएंगे ,
448 अनुच्छेद , 12 अनुसुचियां , 25 भाग को ,
और 5 परिशिष्ठ को
हमेशा जीवन में अपनाएंगे ,

हम अपने भारतीय संविधान को ,
दुनिया मे श्रेष्ठ बनायेंगे ,
248 सदस्यों की महान पोथी में वर्णित
विश्व के श्रेष्ठतम नियमों को अपनाएंगे ,

मेरा अपना भारतीय संविधान ,
2 साल 11 महीने 18 दिन मे ,
बनके जो तैयार हुआ है ,
उसकी हम लाज बचायेंगे ,

भारत के वीर शहीदों का ,
खून से लथपथ धरती माँ का ,
गाँधी , भगत , सुभाष , चंद्रशेखर का ,
जीवनचरित्र ना भूल पायेंगे ,

आजादी के दीवानों मे ,
लाल , पाल , बाल से लेकर ,
उधम सिंह , राजेन्द्र , पटेल , शास्त्री का ,
हमेशा नाम उचाईयों पर ले जायेगें ,

वीर शिवाजी,लक्ष्मीबाई, सावरकर, वीर कुंवर ,
का नाम कभी ना ,
मिटने देंगे और ना मिटायेगे ,

आजादी के पावन अवसर का ,
धर्म, कर्म, सिद्धांतो से ,
अपने सविधान को ,
पूरे विश्व मे हमेशा ,
सर्वश्रेष्ठ बनायेंगे !

रुपेश कुमार
सीवान(बिहार)

शिक्षा ~ स्नाकोतर भौतिकी,बी.एड(फिजिकल सांइस),ए.डी.सी.ए(कम्प्यूटर)
वर्तमान ~ प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी !
प्रकाशित पुस्तक ~ दो पुस्तक “मेरी कलम रो रही हैं”, “मेरी अभिलाषा”(काव्य संग्रह)एवं आठ साझा संग्रह, एक अंग्रेजी मे !
जल्द प्रकाशित ~ “मेरा भी आसमान नीला होगा” (काव्य संग्रह) एवं प्रतियोगीता परीक्षा की पुस्तक, एवं विज्ञान की पुस्तक !
सम्पादक – काव्य संसार एवं नई नौहबहार
विभिन्न राष्ट्रीय-अन्तराष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं मे सैकड़ों से अधिक कविता,कहानी, गजल ,लेख प्रकाशित !
सम्मान – राष्ट्रीय साहित्यिक संस्थानों से 250 से अधिक सम्मान प्राप्त !
शौक ~ वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखना , विज्ञान एवं साहित्य की किताबें पढ़ना, मोटीवेशन करना !
रूचि ~ साहित्य को विज्ञान की दृष्टिकोण से लिखना , सभी विषयों में परिपूर्ण बनना!
हमेशा दिखा ~ वे की दुनिया से दूर रहना !
सदस्य ~ भारतीय ज्ञानपीठ (आजीवन सदस्य)
राष्ट्रीय महासचिव ~ राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान(रजिं) ,भारत

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।