आज मिशन शक्ति व मिशन प्रेरणा के तहत विद्यालयों में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं तथा ऑनलाइन मीटिंग, वेबिनार, रीड अलोंग, सभी कार्यक्रम गांव-गांव शहर-शहर चल रहे हैं। सभी शिक्षकगण भी चुनौती को सुअवसर में बदलने का प्रयास कर रहे हैं। विगत कुछ वर्षों में हम शिक्षकों व माता-पिता के द्वारा कुछ शिथिलता जरूर बरती गई जिसका परिणाम सुखद नही रहा। परन्तु मिशन प्रेरणा के तहत सुधार100% सम्भव है। मॉड्यूल के द्वारा हम शिक्षकों को भी प्रशिक्षण मिल रहे हैं जिसमें 15 मॉड्यूल पर विद्यालय का कैसे सफल नेतृत्व करें व मॉड्यूल16 में समय प्रबंधन, 17 में कोविड 19 के बारे में बताया गया जो मुझे बहुत पसंद आया। मेरा मानना है कि शिक्षक एक अभिभावक संपर्क कर उनकी दिनचर्या को समय बद्ध करें, संवाद करके 24 घंटे को कैसे व्यतीत करना है। यह बच्चों को बतायें 8 घण्टे सोना, समय से होमवर्क करना, स्वस्थ रहने के लिए उचित आहार लेना आदि, आदि, आंगनवाड़ी में बच्चों के शारीरिक विकास के लिए उचित आहार का वितरण होता है। हमें बच्चा 5-6 वर्ष का मिलता है हम उसे ऐसा सुखद, स्वस्थ वातावरण दे, बच्चा विद्यालय से डरे नही। हम उससे निरंतर संवाद कायम रखे। उसके घर की आर्थिक व मानसिक परिस्थिति को समझे, कक्षा में हर एक बच्चे को समय दे, जिससे बच्चा मुखर होकर बोलना आरम्भ करे। प्रत्येक शिक्षक को बच्चों से इतना घुलमिल जाना है कि बच्चा शिक्षक से उचित संवाद शुरू कर दे तभी कक्षा 8 तक पहुँचते हुए उसके व्यक्तित्व में इतना निखार आ जाये कि वह खुद से निर्णय ले सके कि मुझे बड़ा होकर क्या बनना है। क्योंकि एक शिक्षक तभी सफल है जब वह अपने बच्चों को उचित मार्गदर्शन दे सके और एक छात्र तभी सफल है जब वह अपने 24 घण्टे को सही दिनचर्या में ढाल सके। अंत में एक उचित समय प्रबंधन, अपनी दिनचर्या, उचित संवाद, उचित आहार, यही आगे सफल होने की सीढ़ी है।
लेखक
मीना बाजपेयी
कम्पोजिट विद्यालय हसवा, फतेहपुर