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खतों की बात पुरानी हो चली…
वो भी क्या दिन थे जब खतों में दिल का हाल लिखा जाता था…कोरे कागज पर जज़्बात उकेरे जाते थे.. लफ़्जों में अहसास पिरोये जाते थे… पढ़ने वाला भी उसी शिद्दत से हर्फ़ दर हर्फ़ महसूस करता था…खत भेजने में भी वही शिद्दत होती थी…जवाब आने के इंतज़ार में भी वही बेताबी रहती थी…
जमाने की हवा ऐसी चली कि मिलने जुलने और मिल बैठ कर गपशप करनेवाले वाले लोग भी अचानक आंखों के सामने से गायब हो गए…
फिर यह काम फोन से होने लगा…मोबाइल आने के बाद लोग दूर रहकर भी एक दूसरे के करीब महसूस करने लगे…
वक्त तेजी से बदला…अब तो फोन कॉल करना भी भारी लगने लगा है…
पूरा माहौल ही बदल गया…होली दीवाली हो…नया साल हो या कोई और पर्व त्योहार…हर मौके पर एक मैसेज सभी सगे संबंधियों और दोस्तों को फॉरवर्ड कर देना कितना आसान हो गया है…हम अचानक से डिजीटल दुनिया में आ गए हैं…
हमारी भावना… हमारी संवेदना…हमारी पूरी दुनिया ही मोबाइल फोन और लैपटॉप में सिमट गई है…अब हर किसी को अलग अलग संदेश भेजने की जहमत उठाने की भी जरूरत नहीं पड़ती…एक मैसेज कहीं से कॉपी करके एक साथ तमाम लोगों को ब्रोडकास्ट कर देना है…
अपने मन की बात कहने या खुद से कुछ लिखने की जरूरत ही खत्म हो गई है जैसे…सिर्फ कॉपी पेस्ट और फॉरवर्ड करना सीखना है…
जेब में अब कलम रखना जरूरी नहीं रहा… स्मार्ट फोन रखना जरूरी हो गया है…सेकेंडों में एक मैसेज सबों के पास पहुंच जाते हैं…बस एक मैसेज फॉरवर्ड कर दिया… बात भी खत्म…सारा काम भी खत्म…
इसमें कोई शक नहीं कि इस डिजिटल युग में इस तकनीकी सहूलियत ने संप्रेषण को आसान बनाया है लेकिन क्या इस बात का खयाल रखा जाना जरूरी नहीं कि यह आदत कहीं हमारी अभिव्यक्ति की क्षमता को ही न खत्म कर डाले… हमारे जज्बात ही न मर जाएं… संवादहीनता की इस सुरंग में चलते चलते कहीं हम बिल्कुल तन्हा न हो जाएं…
#डॉ. स्वयंभू शलभ
परिचय : डॉ. स्वयंभू शलभ का निवास बिहार राज्य के रक्सौल शहर में हैl आपकी जन्मतिथि-२ नवम्बर १९६३ तथा जन्म स्थान-रक्सौल (बिहार)है l शिक्षा एमएससी(फिजिक्स) तथा पीएच-डी. है l कार्यक्षेत्र-प्राध्यापक (भौतिक विज्ञान) हैं l शहर-रक्सौल राज्य-बिहार है l सामाजिक क्षेत्र में भारत नेपाल के इस सीमा क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए कई मुद्दे सरकार के सामने रखे,जिन पर प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री कार्यालय सहित विभिन्न मंत्रालयों ने संज्ञान लिया,संबंधित विभागों ने आवश्यक कदम उठाए हैं। आपकी विधा-कविता,गीत,ग़ज़ल,कहानी,लेख और संस्मरण है। ब्लॉग पर भी सक्रिय हैं l ‘प्राणों के साज पर’, ‘अंतर्बोध’, ‘श्रृंखला के खंड’ (कविता संग्रह) एवं ‘अनुभूति दंश’ (गजल संग्रह) प्रकाशित तथा ‘डॉ.हरिवंशराय बच्चन के 38 पत्र डॉ. शलभ के नाम’ (पत्र संग्रह) एवं ‘कोई एक आशियां’ (कहानी संग्रह) प्रकाशनाधीन हैं l कुछ पत्रिकाओं का संपादन भी किया है l भूटान में अखिल भारतीय ब्याहुत महासभा के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में विज्ञान और साहित्य की उपलब्धियों के लिए सम्मानित किए गए हैं। वार्षिक पत्रिका के प्रधान संपादक के रूप में उत्कृष्ट सेवा कार्य के लिए दिसम्बर में जगतगुरु वामाचार्य‘पीठाधीश पुरस्कार’ और सामाजिक क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए अखिल भारतीय वियाहुत कलवार महासभा द्वारा भी सम्मानित किए गए हैं तो नेपाल में दीर्घ सेवा पदक से भी सम्मानित हुए हैं l साहित्य के प्रभाव से सामाजिक परिवर्तन की दिशा में कई उल्लेखनीय कार्य किए हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-जीवन का अध्ययन है। यह जिंदगी के दर्द,कड़वाहट और विषमताओं को समझने के साथ प्रेम,सौंदर्य और संवेदना है वहां तक पहुंचने का एक जरिया है।
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