Read Time30 Second

वृक्ष ज्यों ज्यों घटते गए
परिवार आपस में बंटते गए
जेबो मे धन तो बढ़ता गया
नियत बेईमान बनाता गया
कागजी पढ़ाई ही पढ़ते गए
चरित्र को अपने खोते रहे
वाणी मिठास खोती रही
मधुमय बीमारी बढ़ती गई
कैसा कलियुग यह आया
राम को भूले याद रही माया
अभी समय है खुद को बदलो
2021 अब सफ़ल कर लो।
#श्रीगोपाल नारसन
Post Views:
477