
जग जननी जग माता तू है, तू सृष्टि की निर्माता,
काली चंडी का रूप है तू , तू ही लक्ष्मी माता।
ममता की तू सागर है , तू जग की पालनकर्ता,
तू सबकी ही मित्र सखा है,तू ही है सुखकर्ता।
त्याग, समर्पण की मूरत है,तू साहस शौर्य की गाथा,
तू ही रामायण गीता है,तू ही महाभारत की गाथा।
तू ही द्रोपदी तू ही सीता, तू ही लक्ष्मी बाई,
शक्ति अपार है तुझमें नारी,तेरी महिमा देवों ने गाई।
तू ही मीरा तू ही राधा, तू ही कल्पना चावला,
तेरा सुंदर रूप देखकर,नाचे सबका मन बांवला।
धरती से लेकर अंबर तक,परचम तूने लहराया,
पुरुषों संग कंधा मिलाकर,जग में सम्मान पाया।
तुझसे ही है जग की शोभा,तू ही श्रृंगार प्रकृति की,
सुंदरता की मूरत है तू, तू ही आधार जगत की।
घर को स्वर्ग बनाए नारी,घर में खुशियां लाए,
कर दे विनाश नारी उसका जो उसको ठेस पहुंचाए।
रचना
सपना (स० अ०)
जनपद – औरैया