दास्तांं ए हिंदी*

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हिंदी बोली आज तुम औपचारिकता को निभा लो
लिखो हिंदी भाषा में आज कविताओं को सजा लो
एक फीकी हंसी लिए न जाने फिर हंसने लगी हिंदी
जाने दो मत एक दिन के लिए मुझे इतना सम्मानदो

बरसों बीते आजाद हुए मेरे मुल्क मेरे ही हिंदुस्तां को
अंग्रेजी खा रही है आज भी मेरे हिन्दी के गुलिस्तां को
अब तो अपने मुल्क में मैं मेहमान सी ख़ुद को पाती हूं
बस अब हिंदी दिवस के रूप में तारीख में छप जाती हूं

हिंदी बोली आज तुम भी औपचारिकता को निभा लो
लिखो हिंदी भाषा में आज तुम कविताओं को सजा लो

कटघरे में हूं खड़ी ना वकील है ना कानून मेरे साथ हैं
होने लगा है अब तो मुझे भी मेरी मौत का एहसास है
मत करो यूं कत्लेआम मेरा नहीं किसी की गुनहगार हूं
तड़प रही हूं आज इतना मातृभूमि से मांगती इंसाफ हूं

हिंदी बोली सुन मेरी व्यथा गर तुम सब हुए शर्मसार हो
दे दो अंग्रेजी को आहुति हिंदी मात्रृभाषा को सत्कार दो
लो संकल्प फिर कहो हिंदी हमारी पहचान हमारा गर्व है
उठाओ अपनी कलम हिंदी लिखकर हर पन्ना संवार लो

हिंदी बोली आज औपचारिकता से छुटकारा पा ही लो
लिखो हिंदी भाषा में अपनी कविताओं को तुमसजा लो

डेज़ी बेदी जुनेजा।

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।