आत्महत्या रोकथाम दिवस

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भय निराशा कुंठा असफलता से,
माना लड़ना आसान नहीं।
पर मुश्किलों से डर कर ,
‘आत्महत्या’ करना समाधान नहीं।

किसी को जीवन दे ना सको,
तो जीवन लेने का अधिकार नहीं।
अपमान किया जो जीवन का,
तो तुझसा कोई नादान नहीं।

ईश्वर की नेमत से तुझको ,
ये जीवन एक बार मिला ।
ख़ुश किस्मत है तू प्यारे ,
जो ईश्वर का ये वरदान मिला।

मां ने अपनी कोख रखकर,
तुझको बक्षामृत पिलाया।
कलेजे से लगाकर मां ने हरपल ,
ममता की छांव में तुझे सुलाया।

किस हक से तू ए नासमझ,
इस जीवन का त्याग करे।
मां के त्याग बलिदान का ,
क्यों तू इतना अपमान करे।

सुख दुःख जीवन का हिस्सा है,
सबका बस एक ही किस्सा है।
कभी खुशियों की बहारें आएंगी,
कभी पतझड़ तुझको सताएंगी।

मुश्किलों से ना डर जाना,
गमों से ना घबरा जाना ।
मति भ्रष्ट करके अपनी ,
आत्महत्या ना कर जाना ।

दुखों की रातें कट जाएंगी,
सुखों के सवेरे आयेंगे ।
बंजर पड़े निर्जन जीवन में ,
खुशियों के कमल खिल जाएंगे।

जीवन तुझको कुछ दे ना सका,
तो मौत तुझे क्या दे जाएगी।
जी भर के जी ले जीवन यारा ,
ये घड़ियां वापस ना आएंगी।

मरने का विचार जो मन में आए,
दिल तेरा रोए और घबराए।
कोई अपना जब नजर ना आए,
अकेलापन जब तुझे सताए।

दिल पर रख लेना हाथ ज़रा,
भर लेना लंबी सांस जरा ।
रखना ईश्वर पर विश्वास जरा,
करना ख़ुद पर ऐतवार जरा।

लेना हिम्मत से काम ज़रा,
देना कष्टों को मात ज़रा।
भय ,चिंता दिल से निकाल जरा,
लक्ष्य पर निशाना साध जरा।

तेरी किस्मत का तारा भी चमकेगा,
जग में सूरज सा दमकेगा।
तेरे जीवन के मरुस्थल में ,
खुशियों का अमृत। बरसेगा।

रचना –
सपना
औरैया

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