आत्महत्या रोकथाम दिवस

0 0
Read Time2 Minute, 14 Second

भय निराशा कुंठा असफलता से,
माना लड़ना आसान नहीं।
पर मुश्किलों से डर कर ,
‘आत्महत्या’ करना समाधान नहीं।

किसी को जीवन दे ना सको,
तो जीवन लेने का अधिकार नहीं।
अपमान किया जो जीवन का,
तो तुझसा कोई नादान नहीं।

ईश्वर की नेमत से तुझको ,
ये जीवन एक बार मिला ।
ख़ुश किस्मत है तू प्यारे ,
जो ईश्वर का ये वरदान मिला।

मां ने अपनी कोख रखकर,
तुझको बक्षामृत पिलाया।
कलेजे से लगाकर मां ने हरपल ,
ममता की छांव में तुझे सुलाया।

किस हक से तू ए नासमझ,
इस जीवन का त्याग करे।
मां के त्याग बलिदान का ,
क्यों तू इतना अपमान करे।

सुख दुःख जीवन का हिस्सा है,
सबका बस एक ही किस्सा है।
कभी खुशियों की बहारें आएंगी,
कभी पतझड़ तुझको सताएंगी।

मुश्किलों से ना डर जाना,
गमों से ना घबरा जाना ।
मति भ्रष्ट करके अपनी ,
आत्महत्या ना कर जाना ।

दुखों की रातें कट जाएंगी,
सुखों के सवेरे आयेंगे ।
बंजर पड़े निर्जन जीवन में ,
खुशियों के कमल खिल जाएंगे।

जीवन तुझको कुछ दे ना सका,
तो मौत तुझे क्या दे जाएगी।
जी भर के जी ले जीवन यारा ,
ये घड़ियां वापस ना आएंगी।

मरने का विचार जो मन में आए,
दिल तेरा रोए और घबराए।
कोई अपना जब नजर ना आए,
अकेलापन जब तुझे सताए।

दिल पर रख लेना हाथ ज़रा,
भर लेना लंबी सांस जरा ।
रखना ईश्वर पर विश्वास जरा,
करना ख़ुद पर ऐतवार जरा।

लेना हिम्मत से काम ज़रा,
देना कष्टों को मात ज़रा।
भय ,चिंता दिल से निकाल जरा,
लक्ष्य पर निशाना साध जरा।

तेरी किस्मत का तारा भी चमकेगा,
जग में सूरज सा दमकेगा।
तेरे जीवन के मरुस्थल में ,
खुशियों का अमृत। बरसेगा।

रचना –
सपना
औरैया

matruadmin

Next Post

नई शिक्षा नीति के चक्रव्यूह में हिन्दी

Sat Sep 12 , 2020
चकित हूँ यह देखकर कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 में संघ की राजभाषा या राष्ट्रभाषा का कहीं कोई जिक्र तक नहीं है. पिछली सरकारों द्वारा हिन्दी की लगातार की जा रही उपेक्षा के बावजूद 2011 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार आज भी देश की 53 करोड़ आबादी हिन्दी भाषी है. […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।