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रिमझिम बरखा बरस री, भादुड़ा रे मांय|
छेल भँवर अब साँमळो,जोबन बित्यों जाय||
पाणी भरता साहिबा, बरसण लाग्यो नीर|
ऊभी उड़िके गोरड़ी, सरवरिया के तीर||
काळी घटा अकास में, सोहण बोळे मोर|
नेह तीर हिवड़े लगे, कठे गियो चितचोर||
रुत राँची आछी घणी, रूँख हिलोरा खाय|
जोग सतावै साहिबा,इण भादुड़ा र माय||
खेता ऊभी गौरड़ी, हियों हिळोरा खाय|
हिवड़े लागे तिरीया, तनड़ो मुरछा खाय||
शिव गल्डवा
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