स्वदेशी उत्पादन में आत्मनिर्भरता का मूल मंत्र क्या हैं?

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 स्वदेशी उत्पादन का हाल यह है कि मछली पैदा करने की प्रार्थना करो तो उसमें 'जांज' का फंडा उत्पन्न हो जाता है। जिसे विडम्बना न कहें तो और क्या कहें। क्या जांच उत्पादन से भारत आत्मनिर्भर बनेंगा? क्या मूल मुद्दे से हटने पर आत्मनिर्भरता आएगी?
  जांच पड़ताल की समय सीमा पहले एक सप्ताह, फिर एक माह, और फिर वर्ष पर वर्ष गुजर जाता है और पूरा  जीवन जांच में व्यतीत हो जाता। किन्तु जांच पूरी नहीं होती और विकास धरा का धरा रह जाता है।
 स्वदेशी उत्पादन के लिए विदेशी भ्रष्ट सिस्टम को तिलांजलि देनी अनिवार्य होनी चाहिए। स्वदेशी उपजाऊ भावनाओं और संवेदनाओं की जड़ों को भारत, भारतीय और भारतीयता की पवित्रता से सींचने की अति आवश्यकता है।
जबकि इसके लिए भारत के लोकप्रिय शिरोमणि प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी जी ने 'लोकल के लिए वोकल' बनने का आह्वान किया है और प्रत्येक स्थान या विपत्ति में साथ खड़े होने का विश्वास भी दिलाया है। जो भारत भारतीय और भारतीयता को आत्मनिर्भर बनाने का सबसे सरल मूल मंत्र है।
 यही नहीं उन्होंने ने इसके लिए 20 लाख करोड़ रुपए का पैकेज उपलब्ध कराने की घोषणा भी कर रखी है। जो निस्संदेह स्वतंत्र भारत में पहला इतना बड़ा पैकेज है। जिससे भारत भारतीय और भारतीयता की आत्मनिर्भरता तय है।

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