क्या कोरोना से बदल जाएगा फिल्मों की शूटिंग का तौर-तरीका?

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  सब-कुछ बदल जाता है। दिन रात में और रात दिन में बदलते हैं। मौसम चार भागों में बंट जाते हैं। सृष्टि का श्रृंगार है बदलाव। जो परिवर्तनशील है। 
  जैसे बचपन यौवन में बदलता है और यौवन बुढ़ापे में परिवर्तित हो जाता है। बुढ़ापा जिसे जीवन अभिशाप में बदल जाता है।उसे सम्पूर्ण जीवन या जीवनचक्र भी कहते हैं। यह वह फिल्म है जिसके निर्माता माता-पिता और निर्देशक इश्वर होते हैं। जिसमें सुख और दुख भी प्राकृतिक बदलाव दर्शाता है।
  जब जीवनलीला का चित्रण फिल्म उद्योग करता है तो शूटिंग का तौर-तरीका बदलना भी स्वाभाविक है। चूंकि कोरोना विश्व युद्ध ने मानव की सोच बदल दी है। लोगों को ज्ञान हुआ है कि एक सूक्ष्म अदृश्य शत्रु जीव अत्याधिक शक्तिशाली राष्ट्र और उनके द्वारा बनाए अनुबम इत्यादि विफल हो गये हैं। जिनके चित्रण दर्शाने के लिए फिल्मों की शूटिंग का तौर-तरीका बदलना निश्चित है।

इंदु भूषण बाली

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मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।