
किसीको क्या दोष दे हम,
जब अपना सिक्का ही खोटा।
दिलासा बहुत देते है,
स्वार्थी इंसान दुनियां के।
समझ पाता नहीं कोई,
उस मूल जड़ को।
जिसके कारण ही दिलोमें,
फैलती है अराजकता।।
समानता का भाव तुम,
जरा रखकर तो देखो।
बदल जायेगी परिस्थितियां,
इस जमाने के लोगों।
बस थोड़ी सी इंसानियत, दिलोमें जिंदा तुम कर लो।
खुशाली छा जाएगी,
हमारे प्यारे भारत में।।
मोहब्बत वतन से करोगे,
तो जन्नत तुम्हें मिलेगी।
अमन शांति का माहौल,
देश के अंदर बनेगा।
और लोगो के दिलो से,
नफरत खुद मिटा जाएगी।
फिर विश्व में भारत का
ही सिक्का सदा चलेगा।।
विश्व परिवार दिवस पर मेरी रचना आप सभी को समर्पित है।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।