क्या सरकार से चाहिए छोटे उद्योगों को बड़ी राहत?

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  सरकार इस हालत में कहां है कि वह छोटे उद्योगों और उद्यमियों को राहत दे। क्योंकि वह स्वयं राहत की अभिलाषा में हाथ फैला रही है। वह चाहती है कि जन साधारण उसकी इस विकट परिस्थिति में अधिक से अधिक सहायता करे। किन्तु जन साधारण यह न पूछे कि मात्र 45-60 दिनों में खजाने रिक्त क्यों और कैसे हो गये हैं? जिसका प्रमाण यह है कि सर्वप्रथम सरकार ने बच्चों के गुल्लक के पैसे भी सहर्ष स्वीकार किए और उसके तुरन्त बाद शराब बेचने चल पड़ी।
  सरकार ने कोरोना के चलते आर्थिक तंगी का हवाला देते हुए अपने कर्मचारियों के महंगाई भत्ते पर भी ढेड़ वर्ष तक रोक लगा दी है। जबकि वही कर्मचारी अपनी जान पर खेल कर कोरोना से युद्ध कर रहे हैं।
  इस परीक्षा की घड़ी में राष्ट्र के कर्त्तव्यनिष्ठ कर्मठ विधायक और सांसद कितने सफल हुए हैं? इस पर गम्भीर प्रश्नों की प्रसवपीड़ा अभी बाकी है। जिस पर राष्ट्रहित में राष्ट्रीय मंथन अत्यंत आवश्यक एवं अनिवार्य है।
  क्योंकि भारत देश अनेक वनस्पतियों, खनिज पदार्थों, हीरे मोतियों की खानों इत्यादि से भरा पड़ा है। इसके बावजूद मात्र 45 या 60 दिनों में देश का खजाना खत्म होने की बात पच नहीं रही। क्योंकि प्राकृतिक आपदा एक है और प्राकृतिक धरोहरें अनेक हैं।  
  अतः इन प्राकृतिक धरोहरों पर दीमक कहां लगी है? जब तक ऐसे प्रश्नों के उत्तर नहीं मिल जाते, तब तक केन्द्र एवं राज्य सरकारों से किसी भी चुनौती में राहत की आशा करना निराधार है।

#इंदु भूषण बाली

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।