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इश्क की सीढियों पर चदते क्यों हो ?
चढ़ कर फिर उतरते क्यों हो ?
बिछे है इश्क की राहो में कांटे |
फिर उस पर चलते क्यों हो ?
मिलेगे फूल भी इश्क की राहो में |
फिर उनको मुरझाने देते क्यों हो ?
करती नहीं है,जो जो इश्क तुझसे |
फिर उससे इश्क करते क्यों हो ?
करते हो सच्चा इश्क,मिलो खुल्लम खुल्ला ,
फिर छिप छिप कर, मिलते क्यों हो ?
इश्क किया है मैंने,क्या चोरी की मैंने ?
दिल चुरा लिया है मेरा,फिर पूछते क्यों हो ?
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम
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