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विवश किया जिन्होंने वो विवश हो गए।
उठाकर हमें गहरी नींद से स्वयं सो गए।।
हमें सताने हेतु कांटे बोए जिन्होंने भी।
हम उनके लिए सुगंधित फूल बो गए।।
कर्मों का खेल है समय की प्रतीक्षा कर।
देखना अपनी दृष्टि से वो कहां खो गए।।
ईश्वर की लीला ईश्वर पर छोड़ दे भाई।
सुधर जाएं तो अच्छा अन्यथा तो गए।।
ये कर्म भूमि है बचना अत्यंत ही कठिन।
सांस आये तो आये वर्ना ‘बाली’ लो गए।।
इंदु भूषण बाली
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