Read Time1 Minute, 17 Second
पहली बारिश में अपने तन-मन को भिगोता बचपन।
प्रेमी के प्यार से अपने आपको बढाता बचपन।
बोझ हंस-हंस के जिन्दगी का यूँ ढोता बचपन।
कहीं खाना परोसता,कहीं बर्तन धोता,
कहीं सडकों के फुट-पात पे यूँ अधनंग सोता।
खेल की उम्र में बचपन को खोता बचपन।
बोझ हंस-हंस के जिन्दगी का यूँ ढोता बचपन।
आग में जलते हैं और पानी में बह जाते हैं,
आए भुचाल तो घर पक्के के भी ढह जातें हैं।
दूर इस सोच से हो,चैन से सोता बचपन।
बोझ हंस-हंस के जिन्दगी का यूॅ ढोता बचपन।
#आलोक प्रेमी
परिचय-
नाम-आलोक प्रेमी
पिता-श्री परमानंद प्रेमी
माता-श्रीमती गोदावरी देवी
स्थाई पता-ग्रा•+पो•-भदरिया
थाना-अमरपुर
जिला-बाँका(बिहार)
813101
शैक्षणिक योग्यता-शोधार्थी नेट (हिन्दी)
अन्य-आकाशवाणी भागलपुर से नियमित रूप से स्वरचित कहानी/कविता/आलेख/वार्ता का प्रसारण।
शौक-अच्छी किताबें खरीदने की
Post Views:
317