तकनीक सहायक हो स्वामी नहीं

0 0
Read Time2 Minute, 52 Second
sunil patel
तकनीक के विकास और इसके बढ़ते प्रयोग ने जिंदगी की रफ़्तार इतनी तेज कर दी है कि,एक पल के लिए तो इंसान समय से भी आगे निकलने की कोशिश करता है। भविष्य देखने की यह चाहत मानो सच साबित हो सकती है,अगर वैज्ञानिकों की मानें तो,क्योंकि वे ऐसी तकनीक के विकास पर काम कर रहे हैंl  यह तकनीक,कम्प्यूटर  की सहायता से इंसान को उसका भविष्य बता देंगी। बहरहाल इस दिशा में बढ़ते वैज्ञानिक कदम इस बात की ओर इशारा कर रहे हहैं कि,मनुष्य कितना असंतोषी हो गया है जो वर्तमान को दांव पर लगाकर भविष्य की सीढ़ियों पर पैर रखकर चलने की कोशिश कर रहा है।
रोजमर्रा की ज़िन्दगी में इस्तेमाल होने वाले तकनीकी साधनों की संख्या इतनी तेजी से बढ़ रही है जिसे देखकर लगता है वो दिन दूर नहीं,जब रिश्ते सिर्फ मशीनों से निभाए जाएंगे। इंसान का इंसान के प्रति नज़रिया तेजी से बदल रहा है,जिसके परिणाम स्वरुप आजकल के बच्चे कुछ जरुरी जैसे-माँ-बाप,भाई-बहन के अलावा बहुत कम रिश्तों से ही जुड़ना चाहते हैं। दादा-दादी,नाना-नानी और अन्य रिश्ते तो मानो कुछ समय बाद सिर्फ किस्से-कहानियों  में ही मिलेंगे।
ज़िन्दगी की बढ़ती आपा-धापी में माँ-बाप के पास भी इतना समय नहीं रहता है कि,वो अपने बच्चों को संस्कार, शील,गुण और ज्ञान दे सकें। इसलिए आजकल के बच्चे सोशल मीडिया(फेसबुक,व्हाट्सएप्प,वीडियो गेम आदि)से नाता जोड़ लेते हैं,या अन्य तकनीकी सुविधाओं(जैसे टीवी,मोबाइल,गैजेट्स आदि) में ही व्यस्त रहते हैंl इससे यह अपना वास्तविक विकास नहीं कर पाते हैं,जिसके कारण बीमारियाँ बढ़ रही हैं। सभी को चाहिए कि,इसके प्रति जागरूक रहें और तकनीक को सहायक बनाएं,स्वामी नहीं..वरना एक वक़्त आएगा,जब तकनीक इंसान को ही निगल जाएगी।
                                                                                #सुनील रमेशचंद्र पटेल
परिचय : सुनील रमेशचंद्र पटेल  इंदौर(मध्यप्रदेश ) में बंगाली कॉलोनी में रहते हैंl आपको  काव्य विधा से बहुत लगाव हैl उम्र 23 वर्ष है और वर्तमान में पत्रकारिता पढ़ रहे हैंl 

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

‘संघर्ष ने दी सफलता की परवाज’

Thu Apr 20 , 2017
मेरी जीवंत स्मृतियों में आज भी शामिल है एक सहज सरल उमंगता बचपन। संयुक्त परिवार के रिश्तों की झिलमिल कड़ियां………शरारतें……....पढ़ाई……….. गुरूजनों का सम्मान……..संवेदना से भरा संसार………..इन्हीं सबमें मेरे विश्वास श्रद्धा को विनत भाव का एक पुष्ट संस्कार मिला। खुशनुमा बचपन में लौटती हूँ तो,वहाँ ढेरों खुशियों के साथ साथ बीत […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।