ज्ञान और ध्यान का,
हो जाये यदि मिलन।
सार्थिक हो जाएगा,
तुम्हारा ये जीवन।
ऐसा में नही कहता,
कह रहे सारे विद्दमान।
अब तुम्हे ही करना है,
अपने जीवन का फैसला।।
मन तुम्हारा क्या कहता,
जान लो तुम सोचकर।
करना क्या आगे तुम्हें,
खुद तुम ही सोच लो।
अपनी करनी के लिए,
खुद रास्ता तुम चुनो।
फिर उस पर तुम,
चलकर आगे बढ़ो।।
जैसा तुम चाहोगे,
वैसा ही कर पाओगे।
ज्ञान अपना तुम,
फिर दिखा पाओगे।
ध्यान और साधना से,
कुछ तो कर जाओगे।
मानव जीवन अपना,
सफल बना जाओगे।।
इसलिए कहता हूँ,
ज्ञान अनमोल है।
ध्यान बिना जीवन,
बिल्कुल भी अधूरा है।
दोनों के संगम से ही,
दुनियां को समझा सकते हो।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।