
एक नही हजार लिखूँगा
देश विदेश संसार लिखूँगा
जिसका दिवाना है सारा जहाँ
उसके लिए कविता हजार लिखूँगा।
जलने की मिशाल भी नया नहीं
बात लिखने की अदा नही
हाथी देखा नहीं कि बन बैठा कुकुर
लगे भौंकने जैसै फिजुल।
रास न आए मेरी सुन्दरता
एडिट करना मेरी मौलिकता
स्वंय की मर्जी मेरी जैसे छपूँ
पढ़ते है हजारो चाहे जैसे लिखूँ।
बात शब्दों की है तो पढ़ते रहिए
चँद मसलो पर सोचते रहिए
कापी पेस्ट से बचते रहिए
शब्द अपना बनाकर लिखते रहिए।
जल रहे अपने बेगाने
जिसे न जानू न पहचानू
शब्दों की यही महानता
थोड़ा थोड़ा पढ़ो मुझे
तेरा पढ़ना तो ही है मेरी कविता।
“आशुतोष”
नाम। – आशुतोष कुमार
साहित्यक उपनाम – आशुतोष
जन्मतिथि – 30/101973
वर्तमान पता – 113/77बी
शास्त्रीनगर
पटना 23 बिहार
कार्यक्षेत्र – जाॅब
शिक्षा – ऑनर्स अर्थशास्त्र
मोबाइलव्हाट्स एप – 9852842667
प्रकाशन – नगण्य
सम्मान। – नगण्य
अन्य उलब्धि – कभ्प्यूटर आपरेटर
टीवी टेक्नीशियन
लेखन का उद्द्श्य – सामाजिक जागृति