आशाओं के दीप जलेंगें

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sampada
मेधा जब भी मुखरित होगी
निजता का सन्दर्भ हटेगा,
चेतन जब भी जागृत होगा
अंतर्मन का क्लेश घटेगा,
सुरभित होगा मन का स्वर
मन से जन के मीत बनेंगें
आशाओं के दीप जलेंगे।
मन का कलुष भगायें यदि हम
क्षमाशीलता   तब       जागेगी,
सहिष्णुता की अलख जगेगी
औ    कटुता निश्चित भागेगी,
स्थिर होगा जन का मन जब
मानवता के मीत बनेंगे
आशाओं के दीप जलेंगें।
मानवता की कर्मभूमि पर
मानवता का बिगुल बजेगा,
दृष्टि परस्पर ता की शुभ हो
स्वार्थभाव का बल बि घटेगा,
घर-घर खुशियां ही फैलेंगी
नित्य प्रेम के गीत बनेंगें,
आशाओं के दीप जलेंगें।
जाति धर्म पर दृढ़ प्रहार से
ओछेपन की भित्ति गिरेगी,
क्षेत्र वाद पर दृढ प्रहार से
लोकतंत्र की शक्ति बढ़ेगी,
समरसता की ज्योति जलाकर
लोकतन्त्र की रीढ़ बनेंगें,
आशाओं के दीप जलेंगें।।।।।।।
#सम्पदा मिश्रा

matruadmin

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