निश्छल,निष्पाप,प्यार से बंधी है,
मेरी माँ रिश्तों से नहीं,दिल से बनी है।
गलतियां वो हमारी हमें ऐसे बताती है,
जहाँ दिलों में हमारे अपने प्यार को बढ़ाती है।
हर बंधन,हर रिश्ता उसे एक-सा लगता है,
दुश्मन भी अपना उसे दोस्त-सा लगता है।
अथाह सागर है प्यार का उसके पास,
हर शख्स प्यार पाता है उसके पास।
पर कोई उन्हें समझ नहीं पाया है,
अपनों ने ही उसे अंदर से सताया है।
पर फिर भी मुस्कराती रहती है,
हँसकर हमेशा हर गम पीती रहती है।
मेरा हर रोम मेरी माँ की देन है,
मेरा सब कुछ माँ पर न्यौछावर है।
जिंदगी में सब कुछ किसे मिला कहाँ,
दुआ है ईश्वर से सबको मिले मेरी जैसी ‘माँ’।।
#प्रेरणा सेंद्रे
परिचय: प्रेरणा सेंद्रे इन्दौर में रहती हैं। आपकी शिक्षा एमएससी और बीएड(उ.प्र.) है। साथ ही योग का कोर्स(म.प्र.) भी किया है। आप शौकियाना लेखन करती हैं। लेखन के लिए भोपाल में सम्मानित हो चुकी हैं। वर्तमान में योग शिक्षिका के पद पर कार्यरत हैं।