दुनिया के 140 देशों ने लिया शांति,एकता,सम्रद्धि का संकल्प

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दुनिया को शांति,एकता व सम्रद्धि के सूत्र में पिरोने के लिए प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय ने राजस्थान के माऊंट आबू में वरिष्ठ राजयोगी बीके मृत्युंजय भाई के संयोजन में पांच दिवसीय वैश्विक शिखर सम्मेलन आयोजित किया।जिसमें देश के उपराष्ट्रपति एम वैंकैया नायडू, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिडला, राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र,केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, अर्जुन सिंह मेधवाल, प्रताप चन्द्र सारंगी,जी कृष्णा रेड्डी समेत करीब डेढ़ सौ मंत्री,सांसद,विधायक, विभिन्न विश्वविद्यालयो के कुलाधिपति, कुलपति, अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्वयं सेवी संगठनों के अध्यक्ष, विश्वविख्यात प्रेरक हस्तियां, मीडिया से जुड़े शीर्ष पदाधिकारी, फ़िल्म व टीवी चैनलों के चर्चित चेहरे,ब्रह्माकुमारीज सेलिब्रिटी बीके शिवानी,बीके सूर्य,बीके विवेक,संस्था चीफ 103 वर्षीय दादी जानकी,अतिरिक्त चीफ दादी रतनमोहिनी, संस्था महासचिव निर्वेर भाई,अतिरिक्त महासचिव ब्रजमोहन भाई, मुन्नी बहन के साथ साथ सात हजार दुनिया के विशेषज्ञों ने भाग लिया और शांति, एकता,सम्रद्धि के लिए काम करने का संकल्प दौहराया।
मुख्य प्रशासिका दादी जानकी ने कहा कि परमात्मा मेरा शिक्षक, सद्गुुरु, सखा, माता और पिता भी है। मैं सदा याद रखती हूं मैं कौन (आत्मा) और मेरा कौन (परमात्मा)। हम सभी एक पिता की संतान हैं। आपस में भाई-बहन हैं। इसी स्वमान में सदा मग्न रहती हूं। यदि जीवन में प्रेम और सच्चाई है तो खुशी अपने आप आ जाएगी। सदा खुश रहो, आबाद रहो।
ब्रह्माकुमारीज के वैश्विक शिखर सम्मेलन में उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज जैसा कोई अन्य संगठन पूरी दुनिया नही है जो अध्यात्म, सुसंस्कारों के रास्ते सरकार की जन कल्याण योजनाओं को भी आगे बढ़ाने के लिए कृतसंकल्प हो ।उन्होंने कहा कि यहां आना उनके लिए सौभाग्य की बात है।उन्होने धर्म के नाम पर अराजकता फैलाने वालों को भी आड़े हाथों लिए और ऐसे लोगो को ब्रह्माकुमारीज से सीख लेने की नसीहत दी। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए प्लास्टिक से मुक्ति का आव्हान भी किया।उन्होने माना कि बिना अध्यात्म के विश्व शांति की कल्पना नही की जा सकती।दादी जानकी को प्रधानमंत्री द्वारा स्वच्छता ब्रांड अम्बेडस्डर बनाये जाने को एक सार्थक कदम बताया। राजस्थान के आबू रॉड स्थित प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के मुख्यालय शांति वन में आयोजित वैश्विक शिखर सम्मेलन में जब व्हील चेयर से 103 वर्षीय संस्था प्रमुख दादी जानकी मंच पर पहुंची और दीप प्रज्ज्वलन के लिए जाने लगी तो स्वयं उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू उन्हें उनका हाथ पकड़ कर दीप प्रज्ज्वलित कराने ले गए। अतिरिक्त प्रमुख़ दादी रतनमोहिनी,संस्था महासचिव बीके निर्वेर भाई,कार्यकारी सचिव बीके मृतुन्जय भाई की गरिमामयी मौजूदगी में उपराष्ट्रपति ने देश व मानवता के लिए ब्रह्माकुमारीज संस्था को एक वरदान बताया। अहिन्दी भाषी होते हुए भी उन्होंने अपने उदबोधन की शुरुआत हिंदी से की और विदेशी श्रोताओं के लिए अपने उदबोधन का अंग्रेजी में अनुवाद भी साथ साथ किया।राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने भी ब्रह्माकुमारीज संस्था को भारत की ही नही विश्व की कल्याण कारी संस्था बताया।उन्होंने मानवता, शांति,सद्भावना ,रचनात्मकता आदि क्षेत्र में ब्रह्माकुमारीज के योगदान की सराहना की।इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन सिंह मेघवाल, राजस्थान के मंत्री सुखराम बिशनोई,, अनेक सांसदों,विधायकों के साथ साथ अनेक विश्वविद्यालय के कुलाधिपति, प्रति कुलाधिपति प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।एक अक्टूबर तक चलने वाले इस वैश्विक शिखर सम्मेलन में श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय के साथ मूल्यपरक शिक्षा पाठ्यक्रम लागू करने का करार भी किया गया है।
शिखर सम्मेलन में केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि ब्रह्माकुमारी संगठन की ओर से नारी शक्ति के सम्मान में जो कार्य किया रहा है वह इतिहास में लिखा जाएगा। भारत की पहचान उसकी भौगोलिकता, देश के नाम व सीमा से नहीं है बल्कि भारत की पहचान उसकी आध्यात्मिकता से है। ब्रह्माकुमारीज के इस परिसर में आध्यात्मिक ऊर्जा, उत्साह, शान्ति, सद्भाव का प्रेरणादाई अनुभव हो रहा है।
उन्होंने कहा कि ब्रह्माकुमारी संस्था का विश्व के 140 देशों में चेतना जागृति, ध्यान, आत्म सशक्तिकरण, राजयोग मेडिटेशन का अनवरत रूप से चल रहा कार्य साधारण नहीं है, यह परमसत्ता का ही कार्य है। परमसत्ता की सच्चाई अविभाज्य है। आंतरिक भाव से ही सत्य को खोजा जा सकता है। स्वामी रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी आदि ने अपने- अपने तरीके से सत्य की खोज की। भारत ने दुनिया को युद्ध नहीं बल्कि बुद्ध दिया है।
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज व्यक्ति के चरित्र का निर्माण करती है। चरित्र निर्माण के लिए आंतरिक परिवर्तन की शक्ति राजयोग से प्राप्त होती है। आध्यात्म में भी पर्यावरण को सुखद बनाने की परंपरा रही है जिसके परिणामस्वरूप भारतीय संस्कृति में पेड़ों का भी सम्मान होता है। दादी जानकी 103 वर्ष की होते हुए भी महिला शक्ति को आगे बढ़ाने का कार्य कर रही हैं। दादी जानकी भारत की विशिष्टता हैं। जैसी हमारी दृष्टि होती है, वैसी ही वृत्ति, कृति और सृष्टि का निर्माण होता है।
उन्होंने कहा कि पत्रकार आलोचना और व्यंग्य करें लेकिन ब्रह्माकुमारीज जैसे व्यक्ति निर्माण के कामों को भी बताएं। देश में 18 हजार अखबार और 250 न्यूज चैनल हैं पर आज भी समाज में हो रहे अच्छे कार्य लोगों तक कम ही पहुंच रहे हैं। ब्रह्माकुमारीज जो व्यक्ति चारित्रिक उत्थान, आध्यात्मिक विकास और संपूर्ण मानव जाति के कल्याण के लिए कार्य कर रही है मीडिया उसे लोगों को बताए, लोग सुधरेंगे। सोशल मीडिया को सही तरीके से उपयोग में लिया जाना चाहिए, इसमें हिंसा अलगाववाद को स्थान नहीं दिया जाना चाहिए। लोकतंत्र में कानून अपना काम कर रहा है। हमने महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों को देखते हुए तीन तलाक हटाने, अनुच्छेद 370 को खत्म करने और बच्चों को विकास को लेकर कानून बनाए गए।
पांच दिवसीय वैश्विक शिखर के समापन पर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि मानवीय मूल्य कम हो रहे हैं। कई देश आपस में लड़ रहे हैं, हिंसा का वातावरण फैला रहे हैं। एक देश से दूसरे देश में युद्ध का तनाव बढ़ रहा है, ऐसे में भारत ही है जो संपूर्ण विश्व में शांति, सद्भाव और समृद्धि का संदेश दे रहा है। भारत का विश्व में मान-सम्मान बढ़ रहा है। महात्मा गांधी जी ने भी वर्षों पहले विश्वभर में शांति और अहिंसा का संदेश दिया था जिसे आज भी दुनिया मानती है। शांति, सद्भाव, नैतिकता, परोपकार, सतकर्म तो हमारी संस्कृति रही है। सदियों से भारत विश्व में आध्यात्म की गंगा बहा रहा है। भारत विश्वगुरु था और फिर से बनने जा रहा है। इसमें ब्रह्माकुमारीज संस्थान की अहम भूमिका रहेगी। क्योंकि ये संस्था न केवल भारत बल्कि विश्व के 140 देशों में आध्यात्म की अलख जगा रही है। संस्था से जुड़कर लाखों युवा भाई-बहनें लोगों को आध्यात्मिकता अपनाने का संदेश दे रहे हैं। लाखों परिवार तन-मन-धन से इस कार्य को आगे बढ़ाने में समर्पित रूप से जुटे हुए हैं।
ब्रह्माकुमारीज संस्थान के पांच दिवसीय वैश्विक शिखर सम्मेलन का समापन को हो गया।
लोकसभा स्पीकर बिरला ने कहा कि युवाओं में ऊर्जा होती है और उन पर सभी की नजर होती है। भारत युवा है, जो देश के केंद्र बिंदु हैं। युवा भौतिकता को छोड़ आध्यात्मिकता से जुड़ें। युवा ही संदेश दे सकते हैं। यदि भारत को सही दिशा देनी है तो युवा को सही दिशा देनी होगी। ब्रह्माकुमारीज ने विश्वविद्यालयों से जुड़कर मूल्य शिक्षा एवं आध्यात्म को पाठ्यक्रम में शामिल किया है जो बहुत ही सराहनीय कार्य है। इससे युवाओं में आध्यात्मिकता के प्रति रुझान बढ़ेगा, उन्हें नई दिशा देगा। युवाओं की ऊर्जा को ये संस्था सही दिशा में लगा रही है, उन्हें आध्यात्म से जोड़कर समाज सुधार के कार्य से जोड़ा जा रहा है। संस्था के युवा भाई-बहनों ने हजारों किमी की पैदल यात्रा निकालकर लाखों लोगों को संदेश दिया आज ऐसे कार्यों की जरूरत है। यहां की शिक्षा लेकर प्रेरणास्त्रोत नौजवान तैयार हो रहे हैं। यहां की शिक्षा शांति पर आधारित है। वर्षों पहले लगाया गया छोटा सा पौधा आज वटवृक्ष बन गया है।
स्पीकर बिरला ने कहा कि बिना मानसिक स्वास्थ्य के कोई देश या राष्ट्र समृद्धि की ओर नहीं बढ़ सकता है। आध्यात्म से आंतरिक शांति आती है। यहां से संदेश दिया जा रहा है कि परमात्मा एक हैं। दादी जानकी 103 वर्ष की उम्र में भी हजारों ब्रह्माकुमारी बहनों का भारत के साथ विश्वभर के साढ़े आठ हजार सेवाकेंद्रों का मार्गदर्शन कर रही हैं। संस्था आध्यात्मिक ज्ञान के साथ बढ़चढ़कर सामाजिक कार्यों में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी. कृष्ण रेड्डी ने कहा कि आध्यात्मिक शक्ति हमें सही दिशा दिखाती है और बुराइयों से मुक्त करती है। ऋषि-मुनियों ने भी इसका महत्व समझकर साधना की। राजयोग से जीवन में मन को गहन शांति मिलती है। स्व परिवर्तन से विश्व परिवर्तन बीके का स्लोगन है। हम उस देश के वासी हैं जिसने सदा दिया ही दिया है।
जालोर-सिरोही सांसद देवजी एम पटेल ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज संस्थान द्वारा माई इंडिया, ग्रीन इंडिया अभियान चलाया जा रहा है जो पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बहुत ही सराहनीय कदम है। संस्था पूरे राजस्थान में सामाजिक सरोकार से जुड़े कई अभियान चला रही है। संस्था का नशा मुक्ति अभियान बहुत ही सराहनीय पहल है। इससे हजारों लोगों के जीवन को नई दिशा मिली है। ग्लोबल हॉस्पिटल के माध्यम से गरीबों, असहाय और जरूरतमंद लोगों की सेवा की जा रही है जो हमारे लिए गौरव की बात है।
केंद्रीय मंत्री प्रताप सारंगी ने कहा कि
एक हाथ में बंदूक तो कैसे होगी बात पाकिस्तान से, पाकिस्तान के विषय में सबकुछ भगवान की कृपा से हो रहा है। जिस अनुच्छेद 370 को हटाना असंभव लगता था, वो आसानी से हो गया। लोग सोच करते थे कि रक्त की नदियां बहेंगी, पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। मानवाधिकारवादियों को देश की आम जनता की तकलीफ दिखाई नहीं देती। लेकिन एक पुलिसवाले की गोली से एक आतंकवादी मर जाता है तो आकाश-पाताल एक कर देते हैं। लाखों कश्मीरी पंडितों, बहू-बेटियों के साथ अत्याचार हुआ तो कोई आगे नहीं आया। जवानों के मरने से उनकी बहू-बेटी विधवा होते हैं तो उनका दर्द भी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को नहीं दिखता। इन्होंने सिर्फ आतंकियों के मानवाधिकार के लिए ठेका ले रखा है। मेरा कहना कि देश की सुरक्षा के लिए अवांछनीय होते हुए भी थोड़ा बल प्रयोग करना चाहिए।
मंत्री प्रतापचंद्र सारंगी ने कहा कि मैं वैज्ञानिकों को कहना चाहूंगा कि मंगल में जीवन पर अनुसंधान करने की बजाय जीवन में मंगल है कि नहीं इस पर अनुसंधान करें। दुनिया में आज सबसे ज्यादा सद्भावना, शांति और प्रेम की जरूरत है जो आध्यात्म से ही आएगी। यूरोप में विज्ञान और आध्यात्म में प्रतिस्पद्र्धा है। हमारे देश में विज्ञान और आध्यात्म साथ चलता है, एक-दूसरे के पूरक हैं। विज्ञान बहुत गहरी रिसर्च है, इससे हम भौतिक तरक्की कर रहे हैं पर खुद को जानना आध्यात्म है। हम दुनिया को तो जान रहें हैं पर खुद को नहीं जान रहे हैं।
उन्होंने कहा कि ब्रह्माकुमारीज का ज्ञान बहुत ऊंचा है। ये सीधे परमात्मा से जोड़ता है। राजयोग मेडिटेशन ईश्वर से जोड़ता है। यहां का पूरा वातावरण प्रभावित करने वाला है। पहले पति, पत्नी के प्रति, बच्चे मां-बाप के प्रति अपने कर्तव्य का सहजता से पालन करते थे। आज के जमाने में बच्चे अपने माता-पिता के प्रति अपना कर्तव्य नहीं निभा रहे हैं, यही कारण है कि ऐसे कानून बनाना पड़ रहे हैं कि वह अपने कर्तव्यों का पालन करें। जब अपने कर्तव्यों को करवाने के लिए कानून बनाना पड़े तो समझ जाइए कि हमारा राष्ट्रीय चरित्र क्या हो गया है। प्रकृति के विरुद्ध हम कुछ करेंगे तो आपदा आती है। पर्यावरण का संरक्षण हम सभी को मिलकर करना होगा। आज प्लास्टिक और प्रदूषण मानव के लिए सबसे बड़ा खतरा है। हमारे प्रधानमंत्री सिंगल यूज प्लास्टिक नहीं उपयोग करने को बढ़ावा दे रहे हैं।
नोबल पीस प्राइज, रमन मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता व मजदूर किसान शक्ति संगठन की संस्थापक अरुणा रॉय ने कहा कि यदि समाज में व्यवस्था बिगड़ रही है तो उसमें हम भी भागी हैं। क्योंकि जब हम अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक नहीं होंगे तो व्यवस्था बिगड़ती है। सही व्यवस्था के लिए सत्ता में पारदर्शिता जरूरी है। उन्होंने सभी से आह्नान किया कि अपने अधिकारों के लिए लड़े। उन्होंने अपने साथ आईं सुशीला नामक महिला से परिचय कराते हुए कहा कि सुशीला मात्र चौथी कक्षा तक पढ़ीं है और उन्होंने आरटीआई लागू करवाने सहित अन्य कानूनों का खाका तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मैं आज भी उनसे सीखती हूं।
सर्च संगठन की संस्थापक पद्मश्री डॉ. रानी बंग ने कहा कि आदिवासी गांवों में हिंसा नहीं होती, बलात्कार नहीं होते जबकि पढ़े-लिखे समाज में हिंसा और बलात्कार बढ़ रहे हैं इस पर गंभीर चिंतन की जरूरत है। नक्सल प्रभावित महाराष्ट्र के गढ़चिरौली क्षेत्र में ब्रह्माकुमारी संस्था के साथ मिलकर नशामुक्ति, स्वास्थ्य, तंदरुस्ती से लेकर लोगों के चरित्र निर्माण का कार्य किया जा रहा है।
इस दौरान लोक सभा स्पीकर ओम बिरला और दादी जानकी ने ब्रह्माकुमारीज द्वारा चलाए गए मेरा भारत, हरित भारत अभियान में सराहनीय कार्य करने पर बीके भाई-बहनों का सम्मान मोमेंटो देकर किया। साथ ही जयपुर से आए न्यू इंडियन एक्सप्रेस के सीनियर असिस्टेंट एडिटर राजेश असनानी, भास्कर न्यूज की स्थानीय संपादक बीके प्रियंका कौशल, दिल्ली यूएनआई की चीफ सब एडिटर शिवानी नोरियाल, नोएडा से आईं न्यूज 24 की एसोसिएट एडिटर कविता सिंह चौहान का मोमेंटो देकर सम्मान किया गया।गुरुनानक देव के 550वें प्रकाश उत्सव को लेकर हरियाणा के करनाल से निफा कल्चरल ग्रुप 40 हजार किमी की यात्रा पर जत्था निकला है। मंगलवार को जत्थे के यात्रीगण ब्रह्माकुमारीज के शांतिवन पहुंचे। ग्रुप के प्रमुख सरदार प्रीतपाल सिंह पन्नू ने बताया कि ब्रह्माकुमारीज की संयुक्त मुख्य प्रशासिका दादी रतनमोहिनी का आज सम्मान करके खुद को गौरवांवित महसूस कर रहा हूं। सरदार पन्नू व जत्थे के अन्य साथियों ने दादी को मोमेंटो व शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। निफा ग्रुप द्वारा रास्ते में पौधारोपण कर लोगों को पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया जा रहा है। इसके तहत शांतिवन में भी जत्थे के यात्रियों ने पौधे लगाए।
शोभायात्रा के रूप में पहुंचे डॉयमंड हॉल…
लोस स्पीकर बिरला के शांतिवन पहुंचने पर दादी कॉटेज से शोभायात्रा के रूप में डॉयमंड हॉल पहुंचे। उनके स्वागत में यात्रा में सिर पर कलश लेकर ब्रह्माकुमारी बहनें और शिव ध्वज लेकर भाई आगे-आगे चल रहे थे। वहीं खुली गाड़ी में सवार होकर बिरला शांतिवन में घूमते हुए सभा स्थल पर पहुंचे। साथ ही जिला पुलिस की ओर से उनके सम्मान में गार्ड ऑफ ऑनर देकर परेड की सलामी भी दी गई। पूरे समय पुलिस सुरक्षा-व्यवस्था में मुस्तैद रही।
शुरुआत में सम्मेलन के संयोजक बीके मृत्युंजय ने सभी का स्वागत किया। आबू पिंडवाड़ा विधायक समाराम गरासिया, रेवदर विधायक जगसीराम कोली, मल्टीमीडिया चीफ बीके करुणा, बीके हंसा, बीके वेद गुलयानी,डॉ. आरपी गुप्ता, सहित सम्मेलन में आए मेहमान मौजूद रहे। संचालन शिक्षा प्रभाग की मुख्यालय संयोजिका बीके शिविका ,चन्द्रकला बहन व अन्य कई बहनो ने संयुक्त रूप से किया।

#श्रीगोपाल नारसन

परिचय: गोपाल नारसन की जन्मतिथि-२८ मई १९६४ हैl आपका निवास जनपद हरिद्वार(उत्तराखंड राज्य) स्थित गणेशपुर रुड़की के गीतांजलि विहार में हैl आपने कला व विधि में स्नातक के साथ ही पत्रकारिता की शिक्षा भी ली है,तो डिप्लोमा,विद्या वाचस्पति मानद सहित विद्यासागर मानद भी हासिल है। वकालत आपका व्यवसाय है और राज्य उपभोक्ता आयोग से जुड़े हुए हैंl लेखन के चलते आपकी हिन्दी में प्रकाशित पुस्तकें १२-नया विकास,चैक पोस्ट, मीडिया को फांसी दो,प्रवास और तिनका-तिनका संघर्ष आदि हैंl कुछ किताबें प्रकाशन की प्रक्रिया में हैंl सेवाकार्य में ख़ास तौर से उपभोक्ताओं को जागरूक करने के लिए २५ वर्ष से उपभोक्ता जागरूकता अभियान जारी है,जिसके तहत विभिन्न शिक्षण संस्थाओं व विधिक सेवा प्राधिकरण के शिविरों में निःशुल्क रूप से उपभोक्ता कानून की जानकारी देते हैंl आपने चरित्र निर्माण शिविरों का वर्षों तक संचालन किया है तो,पत्रकारिता के माध्यम से सामाजिक कुरीतियों व अंधविश्वास के विरूद्ध लेखन के साथ-साथ साक्षरता,शिक्षा व समग्र विकास का चिंतन लेखन भी जारी हैl राज्य स्तर पर मास्टर खिलाड़ी के रुप में पैदल चाल में २००३ में स्वर्ण पदक विजेता,दौड़ में कांस्य पदक तथा नेशनल मास्टर एथलीट चैम्पियनशिप सहित नेशनल स्वीमिंग चैम्पियनशिप में भी भागीदारी रही है। श्री नारसन को सम्मान के रूप में राष्ट्रीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा डॉ.आम्बेडकर नेशनल फैलोशिप,प्रेरक व्यक्तित्व सम्मान के साथ भी विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ भागलपुर(बिहार) द्वारा भारत गौरव

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।