वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय लागू करेगा ब्रह्माकुमारीज का मूल्यपरक शिक्षा पाठ्यक्रम

0 0
Read Time3 Minute, 29 Second

उत्तराखंड के रुड़की में खुलने जा रही व उत्तर प्रदेश के गजरौला व अरुणाचल के इटानगर में पहले से ही स्थापित वेंकटेश्वर यूनिवर्सिटी ब्रह्माकुमारीज का मूल्यपरक शिक्षा पाठ्यक्रम लागू करने जा रही है।ब्रह्माकुमारीज संस्था से जुड़े साहित्यकार श्रीगोपाल नारसन के प्रयासों से ब्रह्माकुमारीज व विश्वविद्यालय के बीच उक्त बाबत केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद की मौजूदगी में ब्रह्माकुमारीज मुख्यालय माऊंट आबू में एमओयू साइन हुए है।जिसे
वेंकटेश्वरा विश्वविद्यालय की शिक्षा जगत में एक ऐतिहासिक उपलब्धि माना जा रहा है।यह एमओयू माऊंट आबू में आयोजित वैश्विक शिखर सम्मेलन में 27 देशों के विख्यात हस्तियों एवं शिक्षाविदों की उपस्थिति में वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय एवं प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के बीच”वेल्यू एजुकेशन”को लेकर करार हुआ।इसके साक्षी बने देश के केंद्रीय कानून व न्याय एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद, गृह राज्य मंत्री के. रेड्डी, केंद्रीय जल संसाधन मंत्री अर्जुन सिंह मेघवाल,अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के लंदन के अम्बेसडर मिस्टर जेम्स फ्रेजर स्काट,अंतरराष्ट्रीय लाइफ मैनेजमेंट आध्यात्मिक ट्रेनर बी.के शिवानी । ब्रम्हकुमारी एजुकेशन विंग के चैयरमेन डॉ. बी.के मृतुन्जय व विश्विद्यालय की ओर से प्रति कुलाधिपति डॉ राजीव त्यागी ने अनुबन्ध पर हस्ताक्षर किए।, जिसके तहत दोनों विश्वविद्यालय पूरे विश्व में “वेल्यू एजुकेशन, चरित्र निर्माण, राजयोग, आद्यात्म एवं राष्ट्र निर्माण की शिक्षा मिलकर देने का कार्य करेंगे।ब्रम्हकुमारी विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय माउन्ट आबू मैं आयोजित”अंतरराष्ट्रीय विश्व आध्यात्मिक सम्मेलन मैं उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू मुख्य अतिथि एवं राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र अतिविशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।वेंकटेश्वरा समूह के चैयरमेन एवं विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. सुधीर गिरि, शिक्षाविद डॉ. श्रीमती वीना सिंह ने इस”ऐतिहासिक शेक्षणिक अनुबंध”के लिए पूरे वेंकटेश्वरा विश्वविद्यालय परिवार को शुभकामनाएं प्रेषित की है।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

पहाड़

Tue Oct 1 , 2019
पिघलता है जब हिमालय तब जाकर कहीं नदी में बहती है साँसें नदी में संचरित होता है जब जीवन तब जाकर कहीं खेतों में सरसों के फूल खिलते है गेहूं की बालियाँ लहलहाती है धान की खुशबू महकती है खेत हरित होते है जब तब जाकर कहीं पहाड़ जीवंत होते […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।