‘अर्थ तलाशते शब्द’ कृति लोकार्पित

3 0
Read Time5 Minute, 27 Second

जीवन के यथार्थ से संवाद करना है साक्षात्कार- शैलेन्द्र जी

इंदौर। श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति द्वारा मासिक पत्रिका ‘वीणा’ के वर्तमान संपादक श्री राकेश शर्मा से देश के विभिन्न साहित्यकारों द्वारा लिए गए साक्षात्कार, जिन्हें ‘अर्थ तलाशते शब्द’ कृति में समाहित किया गया, का लोकार्पण आज समिति के शिवाजी सभागार में विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलानुशासक डॉ. शैलेन्द्र कुमार शर्मा की अध्यक्षता में संपन्न हुआ।
इस अवसर पर डॉ. शर्मा ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि जीवन के यथार्थ से संवाद करना साक्षात्कार है, इसमें वाचिक परंपरा से लेकर लिखित विधि का भी प्रयोग किया जाता है। कथा-कथेत्तर भी इसे कह सकते हैं। इसमें जिसका साक्षात्कार लिया जाता है, उसके व्यक्तित्व, कृतित्व, परिवेश, सृजन, प्रेरणा, अभिरुचि, मनोवृत्ति आदि सभी पहलुओं का दर्शन होता है। ये भारतीय मनीषा की परंपरा अति प्राचीन है। ‘अर्थ तलाशते शब्द’ कृति में 15 विद्वानों ने श्री राकेश शर्मा के विभिन्न पहलुओं को जिस साहित्यिक रूप में प्रस्तुत किया है, वह आने वाली पीढ़ी के लिए मार्गदर्शन और दस्तावेज़ का कार्य करेंगी। अतिथि वक्ता मातृभाषा उन्नयन संस्थान के अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन ने कहा कि विद्वानों ने जिस तरीके से प्रश्न पूछे हैं और राकेश शर्मा ने उत्तर दिये हैं, वह पठनीय है। उन्होंने भाषा के साथ वर्तमान युवा पीढ़ी से वरिष्ठ पीढ़ी का भयाक्रांत होना विषय पर भी विचार व्यक्त किये। अतिथि वक्ता श्रीमती अंतरा करवडे ने कहा कि इसमें सामान्य होकर असामान्य होना और असामान्य होकर सामान्य होना बहुत ही सरलता के साथ बताया गया है। भाषा की चिंता और स्त्रियों के सशक्त होने पर भी राकेश शर्मा ने अपनी बातें निर्भीकता के साथ रखीं। ‘अर्थ तलाशते शब्द’ कृति साहित्य जगत के लिए महत्त्वपूर्ण कृति है, इससे सृजन संदर्भ भावी पीढ़ी को भी मार्गदर्शन मिलेगा। संवादों के माध्यम से राकेश शर्मा के व्यक्तिगत जीवन से लेकर उनके साहित्य सृजन और ‘वीणा’ के संपादन तक की यात्रा का सुंदर वर्णन मिलता है। इस अवसर पर राकेश शर्मा ने सभी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि भारतीय साहित्य में संवाद की परंपरा बहुत प्राचीन है, उन्होंने श्रीरामचरित मानस में कागभुशुण्ड और गरुड़, शंकर-पार्वती के साथ भगवद्गीता, अष्टावक्र जनक शंकराचार्य और मण्डनमिश्र आदि के ऐतिहासिक उदाहरण प्रस्तुत किये और यह भी कहा कि अब संवाद की परंपरा वाद और विवाद में परिवर्तित हो चुकी है।


कार्यक्रम के आरंभ में अतिथियों के स्वागत में प्रधानमंत्री श्री अरविंद जवलेकर ने समिति और राकेश शर्मा के संबंधों के बारे में बताया। अतिथियों का स्वागत डॉ. पद्मा सिंह, अरविंद ओझा, राजेश शर्मा, घनश्याम यादव, अर्चना शर्मा, शशांक आदि ने किया। कार्यक्रम का संचालन श्री मुकेश तिवारी ने किया एवं अंत में आभार प्रचार मंत्री हरेराम वाजपेयी ने व्यक्त किया। इस अवसर पर कृति के आवरणकर्ता श्री ईश्वरी रावल का तथा श्री राकेश शर्मा, श्रीमती अर्चना शर्मा विवाह की वर्षगांठ के उपलक्ष्य में स्वागत किया गया। कार्यक्रम में कृष्णकुमार अष्ठाना, सूर्यकांत नागर, प्रभु त्रिवेदी, रामचंद्र अवस्थी, प्रदीप नवीन, डॉ. पुष्पेन्द्र दुबे, प्रतापसिंह सोढ़ी, डॉ. रवीन्द्र पहलवान, संतोष मोहन्ती, अश्विन खरे, पुरुषोत्तम दुबे, अनिल ओझा, गिरेन्द्रसिंह भदौरिया, डॉ. जी.डी. अग्रवाल, मणिमाला शर्मा, मोहन रावल, अखिलेश राव, डॉ. शोभा प्रजापति, नीलम तोलानी, रमेश चंद्र शर्मा, आदि काफ़ी संख्या में साहित्यकार व सुधीजन उपस्थित थे।

matruadmin

Next Post

मातृ दिवस - माँ

Sun May 28 , 2023
बरस बीत गया, समय ठहर–सा गया, तेरे साथ बीतीं कई यादें दे गया।। सुनहरे सपने पनप रहे थे तभी ममता की छाँव ले गया, तेरे आँचल की महकी–सी बहार दे गया।। न कोई संशय था, फिर भी आँखें नम कर गया, यकायक ही तेरे जाने का संदेश दे गया।। आँगन […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।