
ऐसे सच्चे साधु जन, जैसे सूप स्वभाव।
यह तो बीती बात है, शेष बचा पहनाव।
शेष बचा पहनाव,तिलक छापे ही खाली।
जियें विलासी ठाठ, सुनें तो बात निराली।
कहे लाल कविराय, जुटाते भारी पैसे।
सुरा सुन्दरी शान, बने स्वादू अब ऐसे।
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टोले साधु सनेह जन, चेले चेली संग।
कार गाड़ियाँ काफिला, सुरा सुन्दरी भंग।
सुरा सुन्दरी भंग, विलासी भाव अनोखे।
दौलत के हैं दास, ज्ञान ये बाँटे चोखे।
बुरे कर्म तन लाल, धर्म धन के बम गोले।
नाम कथा सत्संग, माल ठगते ये टोले।
नाम–बाबू लाल शर्मा
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः