प्यार का समंदर

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इस बार जब तुम आना
फिर छोड़ कर मत जाना
प्यार के इस समुंदर में
जब तुम गोता लगाना
वापस कभी मत जाना।।

मेरे दिल की इस बाग को
हरदम हरियाली रखना
सुख जाय अगर यह बाग
प्यार की नीर से सिच देना ।

प्यार मै इस कदर करु तुमसे
तुम्हे हर वो पिड़ा आने से पहले
मुझसे होकर गुजड़ना होगा
तुम्हे फिर से मुस्कुराना होगा ।।

वीरह की बारी जब आयेगी
खामोस रहना तुम उस वक्त
तेरे मरने से पहले खुद का
मौत मांग लू ईश्वर से जाकर ।

# पुष्कर कुमार

नाम-पुष्कर कुमार ,जिला-अररिया ( बिहार ), मेरा साहित्यिक उपनाम “पुष्कर कुमार भारती” है l जन्म- १७ सितम्बर १९९४ को कटही,सुपौल। मैं पुष्कर कुमार भारती फ़िलहाल स्नातकोत्तर (राजनीति विज्ञान)में अध्ययनरत हू,तथा कार्यक्षेत्र विद्यार्थी के साथ ही लेखन का हैl लेखन विधा-कविता और लेख हैl हिंदी भाषा का ज्ञान रखता हूंl ब्लॉग पर भी लिखता हूं,साथ ही मेरी रचना कहानी संग्रह में हैl साथ ही रचना का प्रकाशन पत्रिका में हुआ हैl और मेरी एक किताब भी अमेजन पर प्रकाशित हुई है,जिसका नाम है- “इम्तिहान अभी बाकी है”। मेरी लेखनी का उद्देश्य-समाज की कुरीतियों को लेखन के माध्यम से मिटाना और हिंदी भाषा का प्रसार करना हैl मेरी रुचि-लेखन और किताब पढ़ने में हैl

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