हंसाता-गुदगुदाता व्यंग्य संग्रह : हमारे व्हॉटस् एप वीर

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संजीव कुमार गंगवार जी की नवीन कृति – हमारे व्हॉटस् एप वीर प्राप्त हुई | ऋषि वैदिक साहित्य पुस्तकालय को प्राप्त यह पुस्तक अब तक की सबसे श्रेष्ठ पुस्तक है हास्य के क्षेत्र में, हंसता-गुदगुदाता व्यंग्यों का अनमोल गुलदस्ता है उक्त संग्रह | सोशल मीडिया के इर्दगिर्द लिखे व्यंग्य पाठकों को हंसते – गुदगुदाते रहते हैं, पाठक अगर एक बार किताब को पढने बैठ जाये तो फिर किताब में ऐसा खो जायेगा कि सारे व्यंग्य ही पढ़ डालेगा | अब देखिये किताब के पहले व्यंग्य – हमारे वॉट्स एप वीर में गंगवार जी की लेखनी का चमत्कार –

‘एक समय था जबकि हमारे देश में लोग सूर्योदय के साथ उठा करते थे | पर अब भगवान सूर्य का स्थान भगवान वॉट्स एप ने ले लिया है | भगवान वॉटस एप की अदभुत माया में लोग इस कदर डूबे हुए हैं कि यदि कोई बड़ी प्रतियोगिता कराई जाये तो सबसे बड़ा श्रध्दालु चयन करने में अच्छी खासी परेशानी हो सकती है |’…

अब आगे बढ़ते हुए बात करते हैं उनके व्यंग्य – कभी – कभी कुछ अच्छे मैसेज, यह व्यंग्य मेरे अनुसार कृति का सबसे सुंदर व्यंग्य है | कलमकार ने कवि देव मणि पाण्डेय की कविता –

“ सावन की पुरवईया गायब
पोखर, ताल, तलईया गायब |
कट गये सारे पेड़ गाँव के
कोयल और गौरईया गायब |”…

से शुरूआत की है | बाद में राजनीति विषय को लेकर अच्छा लिखा है |

‘राजनीति मुहावरे से देखें तो भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिनसे बडे विपक्ष और उसके समर्थकों ने सबसे ज्यादा नफरत की है | कभी सुना नहीं गया – मन मोहन भक्त, राजीव भक्त या इंदिरा भक्त | यहाँ तक कि अटल भक्त भी नहीं सुना गया | लेकिन मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के साथ ही मोदीभक्त नाम का नया शब्द गढ़ लिया गया | इसके पीछे वही नफरत जिम्मेदार है जो विपक्षी पार्टियों और उनके समर्थकों ने मोदी जी से की है |’…

गंगवार जी आगे लिखते हैं – ‘ मोदी जी ने जैसे ही अपनी लात उठाई | भक्त तुरन्त बोल उठा, वो देखो-देखो मोदी जी कालेधन वालों की कमर पर लात मारने वाले हैं | तभी मोदी की भरपूर लात खुद भक्त की कमर पर आकर लगी | भक्त जमीन पर औंधे मुँह जा पड़ा | फिर वो अपनी कमर मलते-मलते धीरे से उठा तो उसके चेहरे पर प्रशंसा के भाव छाये हुए थे | भक्त बोला – इसे कहते हैं समानता की राजनीति | अपने पराये में कोई भेद नहीं करते मोदी जी | तभी मोदी का घूंसा भक्त की आँख पर पड़ा और तुरन्त उसे एक आँख से दिखाई देना बंद हो गया | भक्त खुशी से चिल्लाया, वाह ! वाह! सबको एक नजर से देखने की इससे बेहतर शिक्षा मोदी जी के सिवा कोई नहीं दे सकता | इसके बाद मोदी लट्ठ लेकर भक्त के ऊपर पिल पड़ा | भक्त बेहोश होते-होते बोला, धन्यवाद मोदी जी आपकी कृपा से अब कुछ दिन हॉस्पीटल में आराम करने का मौका मिला | वैसे भी काम करते – करते बहुत थक गया था | तभी एक आम आदमी बोला – अबे गधे मोदी तुझे मार रहा है | तू चुपकर देशद्रोही, भक्त कमजोर आवाज में बोला, वहां बॉर्डर पर रोज सैनिक मार खा रहे हैं तो क्या मैं एक दिन मोदी से मार नहीं खा सकता देशहित में | मार खाते खाते भक्त बेहोश हो गया | इसे कहते हैं सच्चा मोदी भक्त |’

कुलमिलाकर शोसल मीडिया के इर्दगिर्द लिखे गये करीब 27 शानदार व्यंग्यों को प्रकाशित किया गया है उक्त कृति में, 160 पृष्टों का गुदगुदाता यह व्यंग्य संग्रह साहित्य जगत में अनूठा साबित हो रहा है | इंटरनेट के इस युग में संजीव जी की लेखनी कमाल कर रही है | संजीव जी को हमारी ओर से कोटि कोटि साधुवाद!

समीक्षक :- मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
कृति :- हमारे वॉट्स एप वीर
लेखक :- संजीव कुमार गंगवार

#मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

परिचय : मुकेश कुमार ऋषि वर्मा का जन्म-५ अगस्त १९९३ को हुआ हैl आपकी शिक्षा-एम.ए. हैl आपका निवास उत्तर प्रदेश के गाँव रिहावली (डाक तारौली गुर्जर-फतेहाबाद)में हैl प्रकाशन में `आजादी को खोना ना` और `संघर्ष पथ`(काव्य संग्रह) हैंl लेखन,अभिनय, पत्रकारिता तथा चित्रकारी में आपकी बहुत रूचि हैl आप सदस्य और पदाधिकारी के रूप में मीडिया सहित कई महासंघ और दल तथा साहित्य की स्थानीय अकादमी से भी जुड़े हुए हैं तो मुंबई में फिल्मस एण्ड टेलीविजन संस्थान में साझेदार भी हैंl ऐसे ही ऋषि वैदिक साहित्य पुस्तकालय का संचालन भी करते हैंl आपकी आजीविका का साधन कृषि और अन्य हैl

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