
हिंदी ने सब कुछ सिखलाया, हिंदी का गुणगान करें |
जिसने जना चंद जगनिक कवि, उसका हम सम्मान करें |
खुसरो की ‘कह मुकरी’ जिसकी गोदी में मुस्काती हो –
ऐसी पावन भाषा से नित, नूतन नवल विहान करें |
हिंदी का गुणगान करें …………||
पद्मावत रच दिये जायसी, बीजक दास कबीर रचे |
सागर सूर साख्य केशव सँग, राधारानी पीर रचे |
राम चरित मानस तुलसी कृत, पुरुषोत्तम की मर्यादा –
रामचन्द्रिका में केशव के, अलंकार का भान करें |
हिंदी का गुणगान करें…………||
भूषण घनानन्द सेनापति, नानक मीरा पीर पगे |
वीर भक्ति वात्सल्य रीतिरत, धन्य सतसई नेह लगे |
इंसाअल्ला श्रीनिवास अरु भारतेन्दु की कविताई –
प्रियप्रवास हरिऔध रचित का आओ फिर से ध्यान करें |
हिंदी का गुणगान करें…………||
प्रेमचंद दिनकर प्रसाद औ वर्मा पंत निराला गुप्त |
हिंदी माता की संताने, कभी नहीं होना रे सुप्त|
एक सूत्र में बँधकर भारत, हिंदी का पर्याय हुआ –
अरुणाचल कश्मीर केरला, तमिलनाडु जयगान करें |
हिंदी का गुणगान करें………….||
सवा अरब की जनवाणी में, हिंदी भाषा बोल उठी |
अपनों और परायों से पाये ज़ख़्मों को खोल उठी |
उपभाषा औ बोली के सँग, पुन: आज इठलाती यूँ –
हिंदी माथे की बिन्दी हिय से हिंदी का मान करें |
हिंदी का गुणगान करें …………||
परिचयनाम : अवधेश कुमार विक्रम शाहसाहित्यिक नाम : ‘अवध’पिता का नाम : स्व० शिवकुमार सिंहमाता का नाम : श्रीमती अतरवासी देवीस्थाई पता : चन्दौली, उत्तर प्रदेश जन्मतिथि : पन्द्रह जनवरी सन् उन्नीस सौ चौहत्तरशिक्षा : स्नातकोत्तर (हिन्दी व अर्थशास्त्र), बी. एड., बी. टेक (सिविल), पत्रकारिता व इलेक्ट्रीकल डिप्लोमाव्यवसाय : सिविल इंजीनियर, मेघालय मेंप्रसारण – ऑल इंडिया रेडियो द्वारा काव्य पाठ व परिचर्चादूरदर्शन गुवाहाटी द्वारा काव्यपाठअध्यक्ष (वाट्सएप्प ग्रुप): नूतन साहित्य कुंज, अवध – मगध साहित्यप्रभारी : नारायणी साहि० अकादमी, मेघालयसदस्य : पूर्वासा हिन्दी अकादमीसंपादन : साहित्य धरोहर, पर्यावरण, सावन के झूले, कुंज निनाद आदिसमीक्षा – दो दर्जन से अधिक पुस्तकेंभूमिका लेखन – तकरीबन एक दर्जन पुस्तकों कीसाक्षात्कार – श्रीमती वाणी बरठाकुर विभा, श्रीमती पिंकी पारुथी, श्रीमती आभा दुबे एवं सुश्री शैल श्लेषा द्वाराशोध परक लेख : पूर्वोत्तर में हिन्दी की बढ़ती लोकप्रियताभारत की स्वाधीनता भ्रमजाल ही तो हैप्रकाशित साझा संग्रह : लुढ़कती लेखनी, कवियों की मधुशाला, नूर ए ग़ज़ल, सखी साहित्य, कुंज निनाद आदिप्रकाशनाधीन साझा संग्रह : आधा दर्जनसम्मान : विभिन्न साहित्य संस्थानों द्वारा प्राप्तप्रकाशन : विविध पत्र – पत्रिकाओं में अनवरत जारीसृजन विधा : गद्य व काव्य की समस्त प्रचलित विधायेंउद्देश्य : रामराज्य की स्थापना हेतु जन जागरण हिन्दी भाषा एवं साहित्य के प्रति जन मानस में अनुराग व सम्मान जगानापूर्वोत्तर व दक्षिण भारत में हिन्दी को सम्पर्क भाषा से जन भाषा बनाना तमस रात्रि को भेदकर, उगता है आदित्य |सहित भाव जो भर सके, वही सत्य साहित्य ||