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आगे बढना
शिखर पर चढना
आसान नहीं है भाई
काटे जाते हैं पर
बरसते हैं पत्थर
कदम-कदम पर
बिछाए जाते हैं काँटे
खोदी जाती है खाई
आगे बढना
शिखर पर चढना
आसान नहीं है भाई
इस जालीदार दुनिया में
सूख गयी है विश्वास की दरिया
अपने ही लोग लगे हैं निश-दिन गिराने में
सूर लगे रहते हैं जग को जगमगाने में
कभी भीड़ मार डाली है
कभी सताती है तन्हाई।
आगे बढना
शिखर पर चढना
आसान नहीं है भाई।।
#सुनील चौरसिया ‘सावन’
कुशीनगर(उत्तर प्रदेश)
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