
इस ज़मी पे इक मैं हीं क्यूँ हूँ इतनी तन्हा.सी
प्यार के हसी मंज़र से मुझे भी मिलाया होता
चलते रहे बेसुध जानी अंजानी राहों पर हम
ठहर जाते गर मंजिलें पता मैंने भी पाया होता
निगाहें हटती नहीं फ़लक की ओर जो उठी ..
काश ख़ुदा ने मेरे हक़ में फ़ैसला सुनाया होता
इस क़दर हुए हैं ज़िंदगी से अपनी बेजार हम
काश मेरी रूह को मेरा ज़िस्म ना मिला होता..
दामन पे न लगते हर पल मेरे यूँ दाग़ … गर
फूलों की चाहत में कांटों को न ठुकराया होता …
लाखों तारों को आग़ोश में लिए बैठा आसमाँ
इक सितारा डेज़ी की झोली में ही डाला होता
दर्द उतरता ना आज भी इन आँखो में मेरी ..
वो बिछ्ड्ता मंज़र गर याद ना आया होता ……
#डेज़ी बेदी जुनेजापरिचय-
नाम………डेज़ी बेदी जूनेजा
जन्मतिथि……1मई
पता…….मोहाली (चंडीगढ़ )