
सलाम करते हैं हम,
उन वीर जवानों को।
जिनकी दम पर हम,
घरों में आराम करते हैं।
और वो देते हैं पहरा,
सीमा पर खड़े होकर।
उन्ही की दम पर हम,
अमन चैन से रहते हैं।।
उन्हें क्या मिलता हैं,
देश सेवा करने से।
किसने उनसे पूछा,
कभी उनकी मर्जी को।
उनके सीने में देश सेवा,
का भाव धड़कता हैं।
तभी तो वो सेना में,
हुआ करते हैं भर्ती।।
जरा सोचो तुम लोगो,
वहां पर कौन रह सकता।
जहां पर मौत का खतरा,
सदा ही बना रहता हैं।
फिर क्यो ये रास्ता चुनते हैं ये लोग ?
क्योंकि उनके सीने में,
देश सेवा की आग जलती है।।
इसलिए संजय उनके,
माँबाप को करता है सलाम।
और उनके बलिदानो की,
कहानी सब को सुनता हैं।
और तिरंगे की खातिर,
तिरंगे में लिपट जाने का दिल करता हैं।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।

