अहमियत

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manila kumari

नाजों से पली मधु को शादी से पहले इस बात की भनक तक न थी कि शादी के बाद उसे प्रतदिन रोना पड़ेगा l संयुक्त परिवार की बेटी मधु के आँखों में आँसू देख उसके बड़े ताऊ आसमान सिर पर उठा लेते थे l इसलिए परिवार के सभी बच्चे मधु से कभी नहीं झगड़ते थे l मधु थी भी बहुत ही प्यारी, सबकी लाडली, सबसे छोटी और सबकी बातें सुनती भी थी, तो कोई भला कैसे उससे लड़ता? गाँव में दसवीं पास होते ही लड़कियों की शादी हो जाती थी l मधु के लिए भी दसवीं पास करते ही रिश्ते आने लगे, घर के सभी लोग उसकी शादी कराना चाहते थे, पर उसके ताऊ और पिताजी चाहते थे कि मधु कम से कम बारहवीं पास कर ले, उसके बाद ही उसकी शादी हो l
ज्यों ही मधु ने बारहवीं पास की त्यों ही एक संयुक्त परिवार से ही उसके लिए रिश्ता आया l लड़का देखने में ठीकठाक होने के साथ ही नौकरी करता था l साथ ही उसने मधु को आगे पढ़ाने की बात स्वीकार की तो किसी ने इस रिश्ते को इंकार नहीं किया l मधु की शादी बहुत ही धूमधाम से हुई l

ससुराल में आने के बाद प्रतिदिन उसे अपनी जेठानी और ननद से गँवार होने का ताना मिलने लगा l यह बात मधु अपने पति आलोक से कहती तो आलोक कहता इसमें उसकी जेठानी और ननद गलत कहाँ बोल रही हैं l मधु समझ चुकी थी कि ससुराल में सब उसे ही गलत समझेगें l इसलिए वह चुप ही रहती थी l मधु की सास,ननद और जेठानी आलोक के रहते मधु को कोई काम नहीं करने देते थे और खुद ही सारा काम करते और घर के सभी पुरुषों के सामने मधु का खूब ख्याल रखते थे l जैसे ही सभी पुरुष घर से बाहर काम पर जाते मधु से सारा काम करवाते थे l आलोक और अन्य सदस्य घर की किसी भी समस्या की चर्चा बंद कमरे में करते थे l मधु ने एक बार आलोक से इस बारे में पूछा तो उसने कहा कि “तुम अपने काम से मतलब रखो, तुम्हें मेरे काम या घर के अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों को जानने या उस पर बोलने की कोई जरूरत नहीं l” यह बात सुनने के बाद मधु अंदर से हिल गयी और उसको यह अहसास हो गया कि आलोक से उसे किसी बात की उम्मीद करना बेकार है l मधु ससुराल की समस्याएँ अपने मायके वालों को बता कर उन्हें दुःखी नहीं करना चाहती थी l इसलिए ने अब आगे पढ़ाई करने की सोची l उसके ससुराल वालों ने पहले ही उसे पढ़ाने की बात कही थी l सो वह अब घर के कामकाज करके पढ़ाई करने लगी, उसका दाखिला कॉलेज में हो गया, पर आलोक को उसकी पढ़ाई से कोई मतलब नहीं था, उसे अपने वंश का वारिस चाहिए था l पढ़ाई करते करते ही मधु को एक बेटा हुआ, पर मधु ने पढ़ाई नहीं छोड़ी l उसके ऊपर घर के काम, पढ़ाई और बच्चे की जिम्मेदारी आ गयी l सास और जेठानी को अपने आप को परिवार में ज्यादा अच्छा दिखाने का एक और मौका मिल गया कि मधु के बच्चे की देखभाल वे ही करती हैं और मधु कुछ भी नहीं करती l मधु सब कुछ जानते हुए भी चुप रहती थी क्योंकि उसने तो अब यह निश्चय कर लिया था कि अब उसे आगे की पढ़ाई पूरी कर अपने पैरों पर खड़ा होना है l इसी बीच उसके जेठ को नौकरी में प्रोन्नति मिली और वे अपने परिवार को लेकर शहर चले गए l मधु को इस बीच एक और बेटा हुआ l मधु का छोटा बेटा साल भर का हुआ और इसी बीच उसकी ननद की भी शादी हो गयी l

पढ़ाई पूरी होते ही मधु की नौकरी लग गयी l मधु नौकरी करते हुए ही दोनों बच्चों और घर का काम भी देखती थी l इतना होने पर भी आलोक उस पर शक करते रहता था कि मधु उसकी माँ से काम करवाती है और अपने मायके वालों को पैसा भेजती है l जब तब मधु को ससुराल में बुरा भला कहा जाता था l एक दिन आलोक ने फ़ोन पर बात को लेकर उसे कहा कि तुम मेरा घर छोड़ कर अपने मायके क्यों नहीं चली जाती?
मधु ने उस दिन अपना बैग उठाया और अपनी सहेली के किराये के मकान में चली गयी l

मधु के जाने के बाद सास को सारा काम और बच्चे दोनों संभालना पड़ने लगा l सास को तो नौकरानी रखना कभी मंजूर नहीं था, अब मधु के जाने पर सारा काम उसी को करना पड़ रहा था l आलोक को न समय पर खाना मिलता था और न ही बच्चों को बिना माँ के सँभाला जा रहा था l तीन चार दिन तो किसी तरह गुजरा, पर सास से अब घर संभालना मुश्किल हो रहा था और आलोक को भी माँ की बातों की सच्चाई पता चल गयी थी l सास ने बड़ी बहू और बेटी को भी बुलाया पर दोनों ने आने से मना कर दिया l तब सास ने आलोक को मधु को वापस मायके से लाने भेजा l आलोक जो शादी के सात साल बाद ससुराल आया था उसकी खूब आवभगत की गयी l फिर उससे मधु के बारे में पूछा गया कि वह कैसी है? उसने छह दिनों से फ़ोन पर बात भी नहीं की l उसका मोबाइल भी स्विच ऑफ बता रहा है l अब आलोक उन्हें क्या बताता कि “मधु मायके आयी है इसलिए उसे वह लेने वहाँ आया है l” वह अगले ही दिन ससुराल वालों को मधु के घर पर न होने की बात बताए बिना ही घर वापस आ गया l

मधु के ससुर मधु पर हो रहे अत्याचार से दुःखी थे, पर घर में कोई उनकी बात नहीं सुनता था इसलिए चुप ही रहते थे l मधु यह बात जानती थी कि उसके ससुर उसको मानते हैं पर घरवालों के डर से उसकी कोई मदद नहीं करते थे l मधु ने केवल अपने ससुर को बताया था कि वह इस घर से जा रही है और तबतक वापस नहीं आएगी, जबतक आलोक खुद उसे लाने नहीं जाए l उसने अपनी सहेली का फ़ोन नंबर भी अपने ससुर को दे रखा था l एक माह तक कोई खबर नहीं मिलने पर मधु की सास अपने मायके जाने की जिद्द करने लगी l यदि वो मायके चली जाती तो आलोक कैसे नौकरी करता और कैसे बच्चों को संभलता? उसके लिए बड़ी समस्या हो गयी l आलोक को अब अपनी गलती का अहसास हो गया था कि वह नाहक ही माँ की और दूसरों की बातों में आकर मधु को डाँटता रहता था और उससे दूर भागता था l अब वह अधिक से अधिक समय मधु को खोजने में लगाने लगा, ताकि वह उसे खोज कर उससे माफ़ी माँग सके l
उसे न खाने की चिंता न सोने की चिंता थी, उसे तो सिर्फ और सिर्फ अपनी पत्नी की चिंता होने लगी कि वह कहाँ और कैसी है? वह थाने में शिकायत भी कर चुका था, पर कोई ख़बर नहीं मिल पायी थी l मधु को खोजने में वह ससुराल वालों की मदद भी नहीं ले सकता था क्योंकि उसने कभी मधु को शादी के बाद ससुराल जाने भी नहीं दिया था l

मधु के ससुर आलोक को प्रतिदिन मधु की याद में घुलते हुए देख रहे थे, जब उनको इस बात का यकीन हो गया कि उनका बेटा अब मधु की अहमियत जान गया है, तो उन्होंने मधु का पता उसे बता दिया l आलोक तुरंत उसे लेने के लिए अपने बच्चों को भी साथ लेकर गया ताकि मधु उसे मना न कर सके l इधर सास भी मधु की अहमियत जान चुकी थी कि वही ऐसी है जो हर पल सबकी परवाह करती है l मधु के पास जब अलोक पहुँचा तब वह घर पर ही थी l उसने अपने दोनों बच्चों को गले से लगा लिया और उन्हें चूमने लगी l उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे, मानो वो अपने बच्चों से माफ़ी माँग रही हो l यह सब कुछ आलोक देख रहा था, पर वह कुछ बोल नहीं पा रहा था l आलोक की आँखों में भी पश्चाताप के आँसू अविरल बह रहे थे, उसने बहुत देर बाद बहुत हिम्मत जुटा कर मधु से माफ़ी माँगी और आइंदा कभी उस पर शक न करने की बात कही l मधु को भी आलोक की सच्चाई अपने ससुर से पता चल चुकी थी, इसलिए उसने आलोक को माफ़ कर दिया और उसके कहने पर उसके साथ घर वापस आ गयी l मधु को घर पर वो सब मान मिलने लगा, जो अब तक नहीं मिला था l सबको मधु की अहमियत का पता चल चुका था l आलोक भी अब मधु से कोई बात नहीं छुपाता था और छुट्टी में बच्चों संग उसे बाहर घुमाने भी ले जाता था l मधु की ज़िन्दगी अब ख़ुशी -ख़ुशी गुज़रने लगी l

#डॉ मनीला कुमारी

परिचय : झारखंड के सरायकेला खरसावाँ जिले के अंतर्गत हथियाडीह में 14 नवम्बर 1978 ई0 में जन्म हुआ। प्रारंभिक शिक्षा गाँव के ही स्कूल में हुआ। उच्च शिक्षा डी बी एम एस कदमा गर्ल्स हाई स्कूल से प्राप्त किया और विश्वविद्यालयी शिक्षा जमशेदपुर वीमेन्स कॉलेज से प्राप्त किया। कई राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय सम्मेलनों में पत्र प्रस्तुत किया ।ज्वलंत समस्याओं के प्रति प्रतिक्रिया विविध पत्र- पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही है। प्रतिलिपि और नारायणी साहित्यिक संस्था से जुड़ी हुई हैं। हिन्दी, अंग्रेजी और बंगला की जानकारी रखने वाली सम्प्रति ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालय में पदस्थापित हैं और वहाँ के छात्र -छात्राओं को हिन्दी की महत्ता और रोजगारोन्मुखता से परिचित कराते हुए हिन्दी के सामर्थ्य से अवगत कराने का कार्य कर रहीं हैं।

शब्द सीमा

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।