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व्यास जी बोले-
एक दिवस नैमिष निर्जन में।
शौनकादि ऋषि बैठे वन मेंll
चिंतित जग की दशा निहारें।
तभी सूत जी वहाँ पधारेll
लगे पूछने सब मिल उन से।
वांछित फल मिलता किस व्रत सेll
कहा सूत ने नारद ने भी।
पूछा कमलापति से यह हीll
प्रभु ने था जो उन्हें बताया।
वही आज है मैंने गायाll
एक बार नारद मुनि ज्ञानी।
करतल बीन राममय बानीll
भ्रमण कर रहे लोक-लोक में।
देखा मानव पड़ा शोक मेंll
मृत्यु-लोक में दुख है भारी।
कर्म भोग भोगें नर नारीll
कैसे कष्ट दूर हो इन का।
यही एक चिंतन था मन काll
विष्णु लोक वे पहुँचे जाकर।
रूप चतुर्भुज देखा सुंदरll
शंख चक्र पंकज वनमाला।
गदा हाथ उर बाहु विशालाll
विनय करें नारद मुनि ज्ञानी।
मनातीत चित् रूप अमानीll
निर्गुण गुणी अनादि अनन्ता।
गान करें शारद श्रुति सन्ताll
आदि भूत आरतिहर स्वामी।
नमन तुम्हें हे अंतर्यामीll
बोले श्री हरि जगदाधारा।
किस कारण आगमन तुम्हाराll
शंका इच्छा हो जो मन में।
करूँ निवारण उस का क्षण मेंll
नारद बोले मृत्यु-लोक में।
सारे प्राणी पड़े शोक मेंll
नाना योनी नानाकारा।
कर्म-भोग भोगे जग साराll
भूतल पर हैं नाना रोगा।
कैसे शमन कष्ट का होगाll
लघु उपाय कोई बतलायें।
जिससे सभी सुखी हो जायेंll
बोले हरि सुनिये मुनि नारद।
परहित तत्पर वाक्य विशारदll
जो करके सब सुखी रहेंगे।
हम उपाय अब वही कहेंगेll
स्वर्ग मर्त्य दोनों में दुर्लभ।
यह व्रत हो सब भक्तों को लभll
सत्यनारायण का यह व्रत है।
इसको करने में जो रत हैll
सुख सम्पत्ति सभी सुख पाता।
मरने बाद मुक्त हो जाताll
यह सुनकर नारद जी बोले।
कृपासिन्धु अब रहस्य खोलेंll
क्या फल क्या विधान है इसका।
करके भला हुआ है किसकाll
यह सब विधि प्रभु आप बतावें।
कब व्रत करें यही समझावेंll
बोले हरि दुख कष्ट मिटेगा।
अन धन जग में मान बढ़ेगाll
सम्पति औ सौभाग्य प्रदाता।
यह व्रत जय अरु सन्तति दाताll
जिस दिन मन में श्रद्धा जागे।
उसी दिवस हो प्रभु के आगेll
सत्य नारायण का आवाहन।
बन्धु बांधवों युत हो वन्दनll
नत मस्तक नैवेद्य चढ़ावे।
केला घी अरु दूध मंगावेll
गेहूँ या चावल पंजीरी।
गुड़ या चीनी या हो बूरीll
भक्ति प्रेम से पूजन करके।
कथा सुने ब्राह्मण को वर केll
विप्र बन्धु सब भोग लगावेl
प्रेम सहित भोजन करवावेll
दे दक्षिणा प्रेम से उनको।
शांति प्राप्त हो जावे मन कोll
खा प्रसाद सब नाचें गायें।
तदुपरांत अपने घर जायेंll
इससे इच्छा होगी पूरी।
दुख-विपत्ति से होगी दूरीll
नाम मिटा देता जो दुख का।
लघु उपाय है यह कलयुग काll
#डॉ. रंजना वर्मा
परिचय : डॉ. रंजना वर्मा का जन्म १५ जनवरी १९५२ का है और आप फैज़ाबाद(उ.प्र.) के मुगलपुरा(हैदरगंज वार्ड) की मूल निवासी हैंl आप वर्तमान में पूना के हिन्जेवाड़ी स्थित मरुंजी विलेज( महाराष्ट्र)में आसीन हैंl आप लेखन में नवगीत अधिक रचती हैंl
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