कुछ नया कुछ पुराना जमाना,
हमें आज याद आ रहा है।
कितने अच्छे और सच्चे लोग होते थे तब के।
झूठ कर कोई बुलाये तो, सच्च में समाने होते थे।
पर आज यदि सच में बुलाये, तो झूठकर भी नहीं आते हैं।
कितना सब कुछ बदल दिया, लोगों के स्वार्थ ने।।
आत्मीता बदली व्यवहार बदला, और बदल गये लोगो के अचार विचार।
इस कलयुग में अब क्या बचा,
कहने सुनने को अब यार।
कुछ तो शर्म रखो अपनो के लिए यार।।
कैसे बदला किसने बदला,
समाज का व्यवहार और शिष्टाचार।
किसको दे हम दोष अब,
क्योंकि सारे अपने है यार।
इसलिए दिल में आते है उनके प्रति ये विचार।
पर वो क्या समझे अपनो के विचार।
इसलिए दिखाते रहते, अपनी दुर्भावनाएं यार।।
कितना कुछ बदल दिया इस जमाने यार।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।