कोई नहीं सुरक्षित कहीं 

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anup sinh
अरे जीवन का प्रतिपल मर्म बताने वाले
तुमको जीवन का ज्ञान हुआ है कहां अभी तक
जो भ्रमित हुए तुम चले जा रहे
इसी खोज में कि कहीं मिलेगा शांति वनों का घनसमूह
औ उसमें फिर निर्मित कर कुटिया
वहीं बसोगे कोहाहल हाहाकारो से मुक्ति प्राप्तकर
जीवन मानव का सदा रहा उद्वेलित ही
उसके मन के नये नये अन्वेषण द्वारा
पर कहां सभी वह प्राप्त कर सके
कि मन स्थिर हो , बुद्धि सजग हो
बाहर हो फिर शोर भले ही
अंदर शांति प्रबल स्थिर हो
तो कहां जा रहे आज खोजने शांतिवनों को
नहीं मिलेंगे कहीं धरा पर
कट चुके कि वो बन चुका वहां घर
रहते हैं अब लोग सब कहीं
ऐसी जगह है नहीं कहीं
जहां कहीं पर विजन शेष हो
तो खोज रोक दो अपनी सारी
रहो वहीं पर जहां रहे हो सदियों से ही
जिसकी मिट्टी के भोजन खाकर जीवित हो
जिसके पेड़ो की छांव फलों को भोगा है
वहीं रहो अनुकूल वही है
अब रहने से किसने रोका है
सब कहीं धरा पर कोलाहल है
मारकाट सब जगह मची है
कोई कहीं सुरक्षित नहीं
जो औरों के बल जीवित है
आज नहीं नरता केवल गुण हैं जीवित रहने का
आज कहीं जीवित रहना है
शांति सुलभ यदि सदा चाहिए
तो थोड़ी पशुता भी लाओ
जो भी विघ्न  हों खड़े राह में
हों प्रत्यक्ष कि अप्रत्यक्ष
उन्हें चीरकर भूख मिटाओ
भागो नहीं समस्या से अब
समाधान का सृजन करो
भविष्य का प्रह्लाद कहीं चाहिए जीवित तो
आज स्वयं नरसिंह का रूप धरो ।
#अनूप सिंह 

matruadmin

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