कभी छत से,
गुजरो तुम
गर्म क्लांत हवाओं
पहर दोपहर
ठहरना तुम
शीतल होना
देना शीतलता
इतनी-सी उम्मीद,
इत्मीनान रखता हूँ।
प्रकृति तेरी पूजा में,
अभ्यर्थना में
हाथ जोड़े सर झुकाए
सम्मान रखता हूँ।
भारत माँ का,
हिमालयo-सा
मस्तक ऊँचा रहे..
ये स्वाभिमान
रखता हूँ।
सेवक हूँ माँ का,
इतना अभिमान
रखता हूँ।
हर बच्चा है,
हिन्द की अमानत,,
स्वस्थ रहे,मस्त रहे,
यह बयान रखता हूँ।
दिल में दया,
हाथों में गुज़ारिश
होंठों पे सारे जहाँ की,
मुस्कान रखता हूँ।
अपनी जमीं पर,
बिछाकर
सारा का सारा
आसमान रखता हूँ।
#अरुण कुमार जैन
परिचय: सरकारी अधिकारी भी अच्छे रचनाकार होते हैं,यह बात
अरुण कुमार जैन के लिए सही है।इंदौर में केन्द्रीय उत्पाद शुल्क विभाग में लम्बे समय से कार्यरत श्री जैन कई कवि सम्मेलन में काव्य पाठ कर चुके हैं। उच्च शिक्षा प्राप्त सहायक आयुक्त श्री जैन का निवास इंदौर में ही है।