‘बेबी’ की उम्मीद लेकर न जाएं (शाबाना-फिल्म समीक्षा)

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edris
नई फिल्म ‘शाबाना’ की कहानी ‘बेबी’ फिल्म से जोड़ी गई है। हाल ही में प्रदर्शित हुई यह फिल्म प्रीक्वल है ‘बेबी’ की। निर्देशक शिवम भाटिया ने भाग जानी,आहिस्ता-आहिस्ता, महारथी (टीवी सीरियल) के बाद नीरज पांडे लिखित फिल्म ‘नाम शाबाना’ निर्देशित की है। फिल्म की कहानी विदेश से शुरू होती है,जहां २ एजेंट्स की हत्या हो जाती है,फिर मुम्बई में कहानी चलती है जहां शाबाना(तापसी)अपनी माँ के साथ रहती है। एक लड़के से प्यार होता है परंतु कह नहीं पाती है,पर प्यार तो है। एक हादसे में उसके प्रेमी की मौत हो जाती है,और वह इन्साफ चाहती है। शाबाना जूडो प्रशिक्षित है,तो उसे एजेंसी से फोन आता है। एजेंसी से उनके लिए काम करने का प्रस्ताव और प्रेमी की मौत पर इन्साफ दिलाने का भरोसा दिलाया जाता है। वह एजेंसी में नौकरी कर लेती है और अजय राजपूत के साथ प्रशिक्षित होकर मिशन पर जाती है। तब तस्कर टोनी(पृथ्वीराज)से सामना होता है और अक्षय का प्रवेश फिल्म को रफ्तार देता है। इसका पहला आधा भाग कमज़ोर है पर अनुपम और अक्षय की केमेस्ट्री अच्छी रही है।
बॉस के रूप में मनोज सटीक लगे हैं,जबकि शेष कलाकार औसत रहे हैं। फिल्म के गाने तो आप फिल्म खत्म होते-होते ही भूल जाएंगे।
फिल्म में तापसी ने एक्शन सीन अच्छे किए हैं, साथ ही कुछ भावनात्मक सीन भी अच्छे निकाले हैं। फिल्म का कमज़ोर पक्ष है पटकथा,जो ‘बेबी’ के लेखक नीरज पांडे ने ही लिखी है,पर इस बार वह चूक गए।
फिल्म औसत है और एक बार देखी जा सकती है। व्यापार के नाम पर२५-३० करोड़ निकाल सकती है, शेष सेटेलाइट्स और दीगर अधिकार से निकाल के घाटे से बच जाएगी।

                                                                     #इदरीस खत्री

परिचय : इदरीस खत्री इंदौर के अभिनय जगत में 1993 से सतत रंगकर्म में सक्रिय हैं इसलिए किसी परिचय यही है कि,इन्होंने लगभग 130 नाटक और 1000 से ज्यादा शो में काम किया है। 11 बार राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व नाट्य निर्देशक के रूप में लगभग 35 कार्यशालाएं,10 लघु फिल्म और 3 हिन्दी फीचर फिल्म भी इनके खाते में है। आपने एलएलएम सहित एमबीए भी किया है। इंदौर में ही रहकर अभिनय प्रशिक्षण देते हैं। 10 साल से नेपथ्य नाट्य समूह में मुम्बई,गोवा और इंदौर में अभिनय अकादमी में लगातार अभिनय प्रशिक्षण दे रहे श्री खत्री धारावाहिकों और फिल्म लेखन में सतत कार्यरत हैं।

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