नीर नेह हारा

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babulal sharma
.             …👀🌹👀
जल ने आबाद किया,सुने है कहानी।
जीवन  विधाता बंधु , रीत रहा पानी।
पानी  बर्बाद  किया, भावि नहीं देखे।
पीढ़ी आज कह रही, कौन देय लेखे।

खोज रहा  नीर धीर, मान मानवो में।
खो गया है  जो आज,राम दानवों में।
सूख रहे  झील  ताल ,नदी बाव सारे।
युद्ध  से  न  मान हार, नीर बिन हारे।

सूख गया  नैन नीर, पीर देख  भारी।
सत्य बात  मान मीत,रीत  गई सारी।
सिंधु नीर बढ़ रहा, स्वाद याद खारा।
मनुज देख मनुज संग,नीर नेह हारा।

कूप सूख  गए नीर, कृषक हताशे है।
नीर देते  घट आज, स्वयं  पियासे हैं।
नलकूप खोदे  नित्य, धरा रक्त खींचे।
मनुज नीर दोउ मीत,नित्य चले नीचे।

सरिताएँ  डाल  गंद , नीर करें   गंदा।
हे  मनुज  माने  मातु , नदी बुद्धिमंदा।
बजरी निकाली रेत,खेत किये खाली।
फूल  पौधे खा गये, बाग वान  माली।

छेद डाले  भू  खेत, खोद कूप  डाले।
पेड़ नित्य  काट रहे, और नहीं  पाले।
रेगिस्तान  बढ़  रहा, बीत रहा  पानी।
कौन फिर  तेरी सुने, बोल ये कहानी।

रक्षा कर मीत  नीर, जीव जंतु  प्यासे।
सारे जल स्रोत  रक्ष, देख अब  उदासे।
जल बिना जीवन नहीं,सोच बना भाई।
जीवन बचालो  बंधु , बात यह भलाई।

नाम– बाबू लाल शर्मा 
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः

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