क्रांतिकारियों की अद्धभुत वार्तालाप

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shiv varma
हिंदुस्तान सोश्लिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के आगरा वाले मुख्यालय में
चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, बटुकेश्वर दत्त ,शिव वर्मा, विजय कुमार सिन्हा, जयदेव कपूर ,डॉक्टर गया प्रसाद, विश्वनाथ वैशंपायन, सदाशिव राव मलकापुरकर, आदि दल के सभी सक्रिय सदस्य बैठे हैं।
हंसी मजाक चल रहा हैं। हंसी मजाक का विषय है कि कौन कैसे पकड़ा जाएगा पकड़े जाने पर कौन क्या करेगा और सरकार से किस तरह सजा मिलेगी ?
“ये हजरत (राजगुरु )तो सोते हुए ही पकडे जाएंगे। हद हो गई !जनाब चलते-चलते भी सोते जाते हैं। इनकी आंखें पुलिस लॉकअप में खुलेगी और फिर यह पहरे वालों से पूछेंगे ‘क्या मैं पकड़ा गया हूं या स्वपन देख रहा हूं?….”
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 “मोहन (बटुकेश्वर दत्त )चांदनी रात में पार्क में चांद को देखते हुए पकड़े जाएंगे। पकड़े जाने पर पुलिस वालों से आप कहेंगे “कोई बात नहीं…..मगर चांद कितना सुंदर है……!”
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“बच्चू (विजय कुमार सिन्हा) और रण्जीत (भगत सिंह) किसी सिनेमा हॉल में पकड़े जाएंगे और पकड़े जाने पर पुलिस से कहेंगे “जी हां ! पकड़ लिया तो क्या गजब हो गया । खेल तो पूरा देख लेने दो ।”
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“और पंडितजी (चंद्रशेखर आजाद) बुंदेलखंड की किसी पहाड़ी में शिकार खेलते हुए किसी मित्र बने सरकार परस्त के विश्वासघात से घायल होकर बेहोशी की अवस्था में पकड़े जाएंगे। इन्हें जंगल से सीधे झांसी पुलिस अस्पताल में भेज दिया जाएगा वहीं इन्हें होश आने पर पता चलेगा की ये गिरफ्तार हो गए…..सजा दफा 121 में फांसी।”
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आजाद ने झिड़की की हंसी हंसी।
भगत सिंह ने मजाक करते हुए कहा : “पंडित जी आपके लिए दो रस्सों की जरूरत पड़ेगी, एक आपके गले के लिए और दूसरा आपके इस भारी भरकम पेट के लिए।” आजाद तुरंत हंसकर बोले, “देख फांसी जाने का शौक मुझे नहीं हैं। वह तुझे मुबारक हो, जब तक यह बमतुल बुखारा (आजाद ने अपनी माउज़र पिस्तौल का यह विचित्र नाम रखा था) मेरे पास हैं किसी ने मां का दूध पिया है जो मुझे जीवित पकड़ ले जाए।”
संकलनकर्ता : राहुल इंक़लाब
ऐलान – ए – इंक़लाब, इंदौर
#शिव वर्मा की कलम से संस्मृतियां

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।