बेटियाँ

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babulal sharma

बेटियां चकोर जैसी,चाँदनी को ताकने सी।
चाहती  है  आगे  बढ़े,   इन्हे  तो  बढाइये।

विद्यालय  मे भेजना, समय हो तो खेलना।
घर  को  सम्भाले  सुता, खूब  ही  पढ़ाइये।

रीत  प्रीत  व्यवहार, सीख  सब  संस्कार।
भारती  की  आन  को, बेटियों  निभाइये।

बेटियाँ ही होगी मात,लक्ष्मी दुरगा साक्षात।
आज बात  मेरी मान ,सब  को  सिखाइए।
.                  👀👀
बेटियाँ दुलारी माँ की,लाड़ली परिवार की।
मात  यह  संसार की,  ज्ञान जान  लीजिए।

छाँया बने माता की, संरचना विधाता की।
सृष्टि चक्र  धारती  है, जान मान  कीजिए।

जन्म  इन्हे  लेने देवें, खेल कूद पढ़ लेवें।
मुक्त  परवाज  सुता, शान  मान  दीजिए।

झूठी मर्यादा छोड़, बेअर्थी  रिवाजें  तोड़।
बेटियों  को बढ़ने दो, आन  बान  पीजिए।

नाम– बाबू लाल शर्मा 
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः

matruadmin

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