मां

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gopal narsan
पहली बार जब मां देखी
तब मेरा वजूद न था
सांसो और रुदन के अलावा
मेरा कोई शोर न था
मेरे लिए असहनीय पीड़ा
मेरी मां ने झेली थी
मुझे धरा पर लाने को
उसने परेशानियां सह ली थी
मेरी एक मुस्कान की खातिर
रतजगा वह करती थी
मैं बिस्तर गीला करता
वह उस पर सो जाती थी
छींक मुझे गर आ जाती
माँ डर से सहम जाती थी
घुटनो के बल मुझे चलाती
खुद पूरी झुक जाती थी
मुझे भरपेट खिलाने को
मां भूखी रह जाती थी
मेरी ख्वाहिश से अपने सपने
मां पूरे कर लेती थी
बड़ी से बड़ी बीमारी को
वह अपने अंदर समा लेती
दर्द चेहरे पर न लाकर
मैं ठीक हूँ ,वह बता देती
माँ नही देवी थी वह
जो सदा हित ही चाहती थी
सदा सुखी रहो मेरे बच्चों
दिल से वो यह कहती थी
इस जहान से चली गई माँ
एहसास उसका आज भी है
दुनिया की सारी दौलत फीकी
बस माँ का होना लाज़मी है
कमबख्त है वे दुनिया मे
जिन्हें माँ की कद्र नही
जिसने माँ को कष्ट दिया
उसके जीवन मे चैन नही
परमात्म कृपा गर चाहिए
माँ का दिल से सम्मान करो
जीवन सफल हो जाएगा
परमात्मा का भी ध्यान धरो।

#गोपाल नारसन

परिचय: गोपाल नारसन की जन्मतिथि-२८ मई १९६४ हैl आपका निवास जनपद हरिद्वार(उत्तराखंड राज्य) स्थित गणेशपुर रुड़की के गीतांजलि विहार में हैl आपने कला व विधि में स्नातक के साथ ही पत्रकारिता की शिक्षा भी ली है,तो डिप्लोमा,विद्या वाचस्पति मानद सहित विद्यासागर मानद भी हासिल है। वकालत आपका व्यवसाय है और राज्य उपभोक्ता आयोग से जुड़े हुए हैंl लेखन के चलते आपकी हिन्दी में प्रकाशित पुस्तकें १२-नया विकास,चैक पोस्ट, मीडिया को फांसी दो,प्रवास और तिनका-तिनका संघर्ष आदि हैंl कुछ किताबें प्रकाशन की प्रक्रिया में हैंl सेवाकार्य में ख़ास तौर से उपभोक्ताओं को जागरूक करने के लिए २५ वर्ष से उपभोक्ता जागरूकता अभियान जारी है,जिसके तहत विभिन्न शिक्षण संस्थाओं व विधिक सेवा प्राधिकरण के शिविरों में निःशुल्क रूप से उपभोक्ता कानून की जानकारी देते हैंl आपने चरित्र निर्माण शिविरों का वर्षों तक संचालन किया है तो,पत्रकारिता के माध्यम से सामाजिक कुरीतियों व अंधविश्वास के विरूद्ध लेखन के साथ-साथ साक्षरता,शिक्षा व समग्र विकास का चिंतन लेखन भी जारी हैl राज्य स्तर पर मास्टर खिलाड़ी के रुप में पैदल चाल में २००३ में स्वर्ण पदक विजेता,दौड़ में कांस्य पदक तथा नेशनल मास्टर एथलीट चैम्पियनशिप सहित नेशनल स्वीमिंग चैम्पियनशिप में भी भागीदारी रही है। श्री नारसन को सम्मान के रूप में राष्ट्रीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा डॉ.आम्बेडकर नेशनल फैलोशिप,प्रेरक व्यक्तित्व सम्मान के साथ भी विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ भागलपुर(बिहार) द्वारा भारत गौरव

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