आरक्षण : कोई नया नहीं है

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rambahadur

सदियों से रहा है आरक्षण

कौन कहता है कि आज नया है आरक्षण
यह परिपाटी नयी नहीं पुरानी परम्परा है
आकाश,पाताल या सड़क सबमें है आरक्षण
सूरज को जल कोई पश्चिम तो कोई पूर्व में दे
कोई राम को माने तो कोई कृष्ण को जाने
कोई महाराष्ट्र को तो काश्मीर को अपना माने
हिंदुस्तान से पाकिस्तान फिर बांग्लादेश बनाया
कोई साहित्य सवर्ण का कोई लिखे अवर्ण का
कभी बात हो दलित साहित्य कभी पिछड़े की
चाहे नामवर जी लिखें चाहे आशीष नंदी
ये है भारत यहां नहीं है कोई बंदिश
जहां होते बालि तो वहीं रहते सुग्रीव भी
एकतरफ चंद्रयान तो वहीं कालाहांडी भी
कहीं अतिवृष्टि तो वहीं कहीं अनावृष्टि भी
मत डरो आरक्षण से प्रमाणस्वरूप एकलव्य भी
पहले भी रहा है और आज भी है आरक्षण जी
आरक्षण से ही है रक्षण फिर इसमें तकरार क्यूं
भारत है महान तो अकेला आखिर परेशान क्यूं
#राम बहादुर राय “अकेला”
एम.ए.(हिन्दी, इतिहास ,मानवाधिकार एवं कर्तव्य, पत्रकारिता एवं जनसंचार),बी .एड.
मानवाधिकार कार्यकर्ता एवं स्वतंत्र पत्रकार,
बलिया (उत्तर प्रदेश)

matruadmin

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