#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
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कभी तानों में कटेगी, कभी तारीफों में,
ये जिंदगी है यारों, हर दिन इस तरह से गुजरेगी /
पाना तो बहुत कुछ है, पर वो मिलता नहीं /
इसलिए कभी कभी, उदास भी रहती है जिंदगी //
आनंद और ख़ुशी में तो ,हर कोई साथ देता है,
पर गर्दिश और दुःख में, लोग नज़ारे चुरा लेते है /
जिंदगी का सफर तो, यूही चलता रहता है /
कौन किसका और कौन पराया, सब यही पर दिखता है /
जबकि ले जाने को, कुछ भी नहीं है पास ,
फिर भी हम और आप, क्यों चिंतित रहते है /
जिससे सिर्फ हमारी खूबसूरती, निरंतर घटती जाती है ,
ये जिंदगी है यारो , जो हर पल हर दिन ऐसे ही गुजरती है //
क्योकि जिन्दगी की राह, कभी भी आसान नहीं होती,
मेहनत करने वाले की, कभी हार नहीं होती /
बार बार जीवन में, रफू करने से क्या होगा /
कुछ तो सुकून मिलता है, और फिर वही दाग दर्द देता है //
ज़िन्दगी में सारे झगड़ा ही, ख़्वाहिशों के होते है,
क्योकि ना तो, किसी को गम चाहिए,
और ना ही, किसी को कम चाहिए ,
जो कुछ भी है, वो सब सिर्फ हमें चाहिए //