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“जीना-मरना, मरना-जीना,
ये तो सब ईश्वर का खेला,
नेकी की बस राह चलें हम,
ये दुनिया तो है इक मेला।।
रोज ही होते नये तमाशे,
कठपुतली सा नाच-नचाते,
इतनी कठिन डगर जीवन की,
हर आदमी लगे अकेला।।
उसकी रहमत सब पर बरसे,
यही दुआ हम करें हमेशा,
सुख-दुःख की है लगीं दुकानें,
दुनिया तो है बस इक मेला”।।।
#साधना छिरोल्यादमोह (मध्यप्रदेश)
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