कसमों की डोरी …

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sushil sarana
चलो
कोशिश करते हैं
जीवन को
कसमों की डोरी में
रस्मों की गंध से
अलंकृत कर दें
चलो
कोशिश करते हैं
हिना के रंग को
स्नेह अभिव्यक्ति के
अनमोल पलों से
अमर कर दें
चलो
कोशिश करते हैं
अपरिचिति श्वासों को
हवन कुंड की अग्नि के समक्ष
एक दूजे में समाहित कर
सृष्टि की पावनता को
श्रृंगारित कर दें
चलो
कोशिश करते हैं
लकीरों में छुपे
अपने सफ़र को
नेह गंध से सुवासित
मधुर पथ दे दें
चलो
कोशिश करते हैं
मैं और तुम
हम बन जाएँ
मेरी ख़ुशी पर
तुम मुस्कुराओ
तुम्हारे ग़म में
मेरे नैन भर आएँ
कुछ कसमें
तुम निभाओ
कुछ कसमें
मैं निभाऊं
देह से अदेह तक
हर बंधन
मोहब्बत की हिना से
महक जाए
सँग-सँग
कुछ जागी-जागी
सोई-सोई सी रातों में
कोशिश
मंज़िल बन जाए
ख़्वाब
यकीन हो जाएँ
मैं और तुम की ज़िल्द में
हम
अनुपम पृष्ठों की
किताब हो जाए
#नाम- सुशील सरना 
साहित्यिक उपनाम- सुशील सरना 
राज्य-राजस्थान 
शहर-जयपुर 
शिक्षा-स्नातक 
कार्यक्षेत्र-केंद्र सरकार से सेवानिवृत 
विधा -अतुकांत 
प्रकाशन : पेशन फॉर पोएट्री (साझा काव्य संकलन ),हमसफ़र , पावनी (साझा काव्य संकलन ),अक्षरों के ओट में (साझा काव्य संकलन), शुभस्तु (साझा काव्य संकलन के ४ अंक ) .काव्य अमृत, काव्य अंकुर , कुछ यूँ बोले अहसास , विहग प्रीति के।  
सम्मान-अंतर्जाल के विभिन्न काव्य  ग्रुपों द्वारा समय समय पर प्रशस्ति पत्रों से सम्मानित तथा विभिन्न समाचार पत्रों में समय समय पर रचनाएं प्रकाशित /अहा!ज़िंदगी द्वारा पुरस्कृत एवं समय -समय पर चित्र पहेली में प्रशंसित। इसके अतिरिक्त अनुगुंजन  पत्रिका , कविकुम्भ पत्रिका ,दैनिक राष्ट्र राज्य  समाचार पत्र आदि में समय -समय पर प्रकाशन। 
ब्लॉग-X 
अन्य उपलब्धियाँ-x 
लेखन का उद्देश्य-सामाजिक परिवेश में अनुभव होने वाले विचारों की संदेशात्मक अभिव्यक्ति एवं स्वच्छंद भावों की अभिव्यक्ति। 

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।