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चलो
कोशिश करते हैं
जीवन को
कसमों की डोरी में
रस्मों की गंध से
अलंकृत कर दें
चलो
कोशिश करते हैं
हिना के रंग को
स्नेह अभिव्यक्ति के
अनमोल पलों से
अमर कर दें
चलो
कोशिश करते हैं
अपरिचिति श्वासों को
हवन कुंड की अग्नि के समक्ष
एक दूजे में समाहित कर
सृष्टि की पावनता को
श्रृंगारित कर दें
चलो
कोशिश करते हैं
लकीरों में छुपे
अपने सफ़र को
नेह गंध से सुवासित
मधुर पथ दे दें
चलो
कोशिश करते हैं
मैं और तुम
हम बन जाएँ
मेरी ख़ुशी पर
तुम मुस्कुराओ
तुम्हारे ग़म में
मेरे नैन भर आएँ
कुछ कसमें
तुम निभाओ
कुछ कसमें
मैं निभाऊं
देह से अदेह तक
हर बंधन
मोहब्बत की हिना से
महक जाए
सँग-सँग
कुछ जागी-जागी
सोई-सोई सी रातों में
कोशिश
मंज़िल बन जाए
ख़्वाब
यकीन हो जाएँ
मैं और तुम की ज़िल्द में
हम
अनुपम पृष्ठों की
किताब हो जाए
#नाम- सुशील सरना
साहित्यिक उपनाम- सुशील सरना
राज्य-राजस्थान
शहर-जयपुर
शिक्षा-स्नातक
कार्यक्षेत्र-केंद्र सरकार से सेवानिवृत
विधा -अतुकांत
प्रकाशन : पेशन फॉर पोएट्री (साझा काव्य संकलन ),हमसफ़र , पावनी (साझा काव्य संकलन ),अक्षरों के ओट में (साझा काव्य संकलन), शुभस्तु (साझा काव्य संकलन के ४ अंक ) .काव्य अमृत, काव्य अंकुर , कुछ यूँ बोले अहसास , विहग प्रीति के।
सम्मान-अंतर्जाल के विभिन्न काव्य ग्रुपों द्वारा समय समय पर प्रशस्ति पत्रों से सम्मानित तथा विभिन्न समाचार पत्रों में समय समय पर रचनाएं प्रकाशित /अहा!ज़िंदगी द्वारा पुरस्कृत एवं समय -समय पर चित्र पहेली में प्रशंसित। इसके अतिरिक्त अनुगुंजन पत्रिका , कविकुम्भ पत्रिका ,दैनिक राष्ट्र राज्य समाचार पत्र आदि में समय -समय पर प्रकाशन।
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लेखन का उद्देश्य-सामाजिक परिवेश में अनुभव होने वाले विचारों की संदेशात्मक अभिव्यक्ति एवं स्वच्छंद भावों की अभिव्यक्ति।
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Sun Dec 9 , 2018
जो स्वपन मे जीता है उसका जीवन रीता है जो स्वपन को साकार करे लक्ष्य रख प्रयास करे प्रतिफल वही पाता है जीवन सुखमय हो जाता है जीवन को स्वर्णिम बनाने को आत्मिक हर्ष पाने को स्वपन लक्ष्य का जो बुनता है सद्कर्म वही तो करता है वही सच्चा मानव […]