डॉ आरती भदौरिया के कथा संग्रह ‘ कथा जारी रहे’ और डॉ शशि सक्सेना के कविता संग्रह ‘रिश्ते हुए सपने’ पर गहन चर्चा
जयपुर |
राजस्थान लेखिका साहित्य संस्थान, जयपुर के तत्वावधान में 7 दिसम्बर को यहाँ तिलकनगर कार्यालय में दो लेखिकाओं की सद्य प्रकाशित कृतियों पर चर्चा का आयोजन किया गया । इस अवसर पर डॉ आरती भदौरिया के कथा संग्रह ‘ कथा जारी रहे’ पर डॉ सुषमा शर्मा, कल्पना गोयल और डॉ आभा सिंह ने समीक्षा प्रस्तुत की । इसी प्रकार डॉ शशि सक्सेना के कविता संग्रह ‘रिश्ते हुए सपने’ पर डॉ आरती सिंह, करुणाश्री और स्नेहप्रभा परनामी ने समीक्षा की ।
संस्थान की अध्यक्ष डॉ जयश्री शर्मा ने प्रारंभ में सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि इस प्रकार की साहित्यिक आयोजन के होते रहने से सभी में साहित्य के प्रति अभिरुचि बनी रहती है।संस्थान का यह प्रयास रहेगा कि इस प्रकार के साहित्यिक आयोजन निरंतर होते रहें और नई रचनात्मक प्रतिभाएं आगे आ सकें।
संस्थान की सह सचिव रेनू शर्मा शब्द मुखर ने तिलक एवं मोली बांध कर और प्रबंध निदेशक सुधीर उपाध्याय ने माला पहनाकर प्रमुख साहित्यकार,वरिष्ठ समीक्षक, पत्रकारिता के सशक्त हस्ताक्षर फारूक आफरीदी और कवि साहित्यकार संदीप मायामृग के साथ सुशीला शील का का स्वागत किया।
कार्यक्रम की कड़ी में आभा सिंह ने डॉ. आरती भदौरिया जो सामाजिक सरोकारों के प्रतिबद्ध हैं, के कहानी संग्रह की समीक्षा करते हुए कहा कि ये संग्रह यथार्थवादी संवेदनाओं से परिपूरित है।इसके साथ ही मानवीय मूल्य के धरातल पर हर कहानी अनुभवजन्य, अंतरंग भावों व संदेश से भरी है।
डॉ. सुषमा शर्मा ने समीक्षा करते हुए कहा कि ये कहानियां रचनाकार का अभिनव प्रयास है तो नारी विमर्श के अंतर्गत उसके सशक्तिकरण को गहराई से नापा-तोला गया है।सभी कहानियां मानवीय मूल्यों के संग समय और रिश्ते-नातों की मर्यादाओं का ताना-बाना है।
साहित्यकार कल्पना गोयल ने डॉ. आरती भदोरिया की कहानी संग्रह ‘कथा जारी रहे’ की समीक्षा में कहा कि इनकी कहानियों में नारी को प्रतीक मानते हुए उन्होंने अपनी सारी कहानियों में नारी के कमोबेश हर पहलू को समाविष्ट करने का प्रयास किया है।
इस अवसर पर लेखिका संस्थान की पूर्व सचिव कमलेश माथुर की 1990 से 2018 तक की साहित्यिक यात्रा की प्रोफाइल का विमोचन भी संस्थान के द्वारा किया गया।
कवयित्री शशि सक्सेना के काव्य संग्रह ‘रिश्ते हुए सपने’ की समीक्षा में स्नेहप्रभा परनामी ने कहा कि इसमें रचनाकार ने अपनी मनोव्यथा को विविध परिदृश्य में आकलन कर प्रेम की मीमांसा की है -प्रेम ही जीवन है और जीवन ही प्रेम है। इनकी कविताओं में भरपूर ऊर्जा है जिन्हें पढते हुए पाठक आनंद का अनुभव करता है।सभी कविताओं का भाव पक्ष और कला पक्ष जहां निखरा हुआ है वही शिल्प वैभव से भी समृद्ध है।
डॉ. आरती भदोरिया ने शशि के काव्य संग्रह ‘रिश्ते हुए सपने’ की सारगर्भित समीक्षा की और कहा कि उनके काव्य में समाज में व्याप्त विकृतियों के विरुद्ध शंखनाद है।साथ ही शशि ने वृक्ष, बूढ़ा हो गया हूं, सड़क का वृक्ष,कुछ शब्द ,रसोई, खो गई बस्ती,चाय गर्म,जिंदगी,सच्चा वीर आदि विभिन्न विषयों की कविता रच कर अपने चारों ओर के वातावरण की इंद्रधनुषी छटा बिखेर दी है। कुल मिलाकर उनका काव्य संग्रह पाठक को सोचने पर विवश करता है।
वरिष्ठ कथा लेखिका करुणाश्री ने कहा कि शशि की कविताएं संप्रेषणीयता के स्तर पर खरी उतरती हुई बेहद संवेदी और सुखद हैं जिसमें रचनाकार की पीड़ा,कसक व अंतर्मन की कचोट उभर कर आई है।
कार्यक्रम का मंच संचालन विजय लक्ष्मी व डॉ.कविता माथुर ने किया। पूनम सेठी व धर्मा यादव ने सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिला लेखिकाओं की भागीदारी उत्साहित करने वाली थी।