सफर जारी है

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niraj tyagi
रास्ते बेदखल ना करदे तुझे , यूँ अकड़ के भी ना चल।
ज्यादा हवा में ना उड़,कम से कम आसमाँ को ना छल।।
वो  ऊपर  जो  बैठा  है , सब  का  हिसाब लेगा।
पौधे  से  गिरे  पत्तो के  अस्तित्व को तू झुठलाता,
तू भी गिरेगा नीचे कभी ,खुद को खुदा ना समझ।।
आने वाले,जाते है सभी इस दुनिया से,रुका कोई नही।
अगर वक्त से आज कोई हारा है तो उसे हारा ना समझ,
महफ़िल में दिखेगा जरूर,इतना भी बेसहारा ना समझ।।
आज मंजिल ढूंढता हुआ माना भटकता है कोई।
अभी सफर मैं है वो,उसे थका हुआ ना सोचे कोई।।
पहुँचना मंजिलो पर आसान नही होता है सबके लिए।
पहुँचेगा जरूर बस शर्त यही है कि उसका चलना ना रुके।।
#नीरज त्यागी 
ग़ाज़ियाबाद (उ. प्र)

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