मात शारदा सुमिर के, सुमिरो देव गणेश।
कविता दोहा सीखिए,सुन्दर सुमिर महेश।।
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दोहा छंदो मे लिखो ,कविजन अपनी बात।
तेरह ग्यारह मातरा, अड़तालिस हो जात।।
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प्रथम तीसरे चरण में, तेरह मात्रा पूर।
गुरु लघु गुरु चरणांत हो,भाव भरे भरपूर।।
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विषम चरण के अंत में,लघुलघुलघु भी होय।
लय में गाकर देख लो, लय बाधा नहि होय।।
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द्वितीय चौथे चरण में, ग्यारह मात्रा होय।
सम चरणों के अंत में,गुरु लघु मात्रा जोय।।
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पचकल से न शुरू करे,विषमचरणकविराइ।
भाषा भावों में भरो, देख लीजिए गाइ।।
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विषम चरण प्रारंभ में,जगण दोष नहि आय।
नाम देव के होय तो, जगण दोष बचि पाय।।
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चौकल से चौकल सजे,
. त्रिकल त्रिकल से सोय।
भाव भरे मन में रचे,
. दोहे सुन्दर होय।।
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सम चरणों के अंत में,जो पचकल आजाय।
दोहा भी सुन्दर लगे, सृजन सुघड़ हो जाय।।
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दोहा छंदो में लिखा ,दोहा छंद विधान।
शर्मा बाबू लाल ने, सीखें रहित गुमान।।
नाम– बाबू लाल शर्मा
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः