मात शारदा

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babulal sharma

मात शारदा सुमिर के, सुमिरो  देव गणेश।
कविता दोहा सीखिए,सुन्दर सुमिर महेश।।
.          💫💫💫💫💫
दोहा छंदो मे लिखो ,कविजन अपनी बात।
तेरह ग्यारह मातरा, अड़तालिस  हो जात।।
.          💫💫💫💫💫
प्रथम  तीसरे   चरण  में, तेरह  मात्रा  पूर।
गुरु लघु गुरु चरणांत हो,भाव भरे भरपूर।।
.          💫💫💫💫💫
विषम चरण के अंत में,लघुलघुलघु भी होय।
लय में गाकर देख लो, लय बाधा नहि होय।।
.          💫💫💫💫💫
द्वितीय चौथे  चरण  में, ग्यारह  मात्रा  होय।
सम चरणों  के अंत में,गुरु लघु  मात्रा जोय।।
.          💫💫💫💫💫
पचकल से न शुरू करे,विषमचरणकविराइ।
भाषा  भावों  में  भरो, देख   लीजिए  गाइ।।
.          💫💫💫💫💫
विषम चरण प्रारंभ में,जगण दोष नहि आय।
नाम  देव के होय तो, जगण दोष बचि पाय।।
.          💫💫💫💫💫
चौकल से चौकल सजे,
.       त्रिकल त्रिकल से सोय।
भाव भरे  मन  में  रचे,
.          दोहे  सुन्दर  होय।।
.          💫💫💫💫💫
सम चरणों के अंत में,जो पचकल आजाय।
दोहा भी सुन्दर लगे, सृजन सुघड़ हो जाय।।
.          💫💫💫💫💫
दोहा  छंदो में  लिखा ,दोहा  छंद  विधान।
शर्मा  बाबू लाल ने, सीखें  रहित  गुमान।।

नाम– बाबू लाल शर्मा 
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः

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