चिड़िया का शहर यह छूट गया

0 0
Read Time2 Minute, 21 Second

rajbala

अम्मा अब न चावल चुनती,
न बड़ियों को धूप दिखाती।

बर्गर-पिज्जा मांगे मुन्ना,
मुनिया भी न खीले खाती।

आंगन चिड़िया का छूट गया,
क्यों भाग्य विधाता रुठ गया ?

सूने सारे दालान पड़े,
खाली सारे खलियान पड़े।

खेतों से उठकर के बोरे,
जब गोदामों की ओर बढ़े।

दाना चिड़िया का छूट गया,
क्यों भाग्य विधाता रुठ गया ?

बेमतलब जल को बहा-बहा,
धरती को प्यासा छोड़ा है।

सब ताल-तलैया सूख गए,
मुख नदियों ने भी मोड़ा है।

चिङिया का नहाना छूट गया,
क्यों भाग्य विधाता रुठ गया ?

बिखरे कुनबे घर टूट गए,
अपने अपनों से रुठ गए।

आम नहीं,अब नीम नहीं,
हरे पेड़ सब ठूंठ भए ।

चिड़िया का चहकना छूट गया,
क्यों भाग्य विधाता रुठ गया ?

उड़ रही वास सड़ता कचरा,
चंहु ओर प्रदूषण है पसरा।

काला-सा धुआं चिमनियों का,
जब नभमंडल में जा बिखरा।

चिड़िया का उड़ना छूट गया।
क्यों भाग्य विधाता रुठ गया ?

कौड़ी -कौड़ी इंसान बिका,
सच्चाई हर पग छली गई ।

सब ओर बवाल मचा हुआ,
साजिश पे साजिश रची गई।

चिड़िया का शहर यह छूट गया।
क्यों भाग्य विधाता रुठ गया ?

                                                                           #राजबाला ‘धैर्य’

परिचय : राजबाला ‘धैर्य’ पिता रामसिंह आजाद का निवास उत्तर प्रदेश के बरेली में है। 1976 में जन्म के बाद आपने एमए,बीएड सहित बीटीसी और नेट की शिक्षा हासिल की है। आपकी लेखन विधाओं में गीत,गजल,कहानी,मुक्तक आदि हैं। आप विशेष रुप से बाल साहित्य रचती हैं। प्रकाशित कृतियां -‘हे केदार ! सब बेजार, प्रकृति की गाथा’ आपकी हैं तो प्रधान सम्पादक के रुप में बाल पत्रिका से जुड़ी हुई हैं।आप शिक्षक के तौर पर बरेली की गंगानगर कालोनी (उ.प्र.) में कार्यरत हैं।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

'कटोरे पर कटोरा'

Mon Mar 20 , 2017
आज सुबह-सवेरे शीतला सप्तमी पर रंजन जी बिना चाय पिए ही श्रीमती जी को लेकर मंदिर पहुँच चुके थे।गुजरी रात को ही स्पष्ट निर्देश मिल चुके थे कि,गैस मत जलाना। महिलाऐं बासोरे और पूजन सामग्री की थाली लिए कतार में थीं और उनके पतिदेव मोबाइल पर बतियाते हुए आसपास ही […]

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।